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निगम इससे लगा रहा पेवर ब्लॉककेंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 2025 तक टि्वनसिटी की वायु गुणवत्ता सुधारने एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स), स्मोक टॉवर और एयर प्यूरीफायर लगाने के लिए नगर निगम भिलाई को लगभग ढाई करोड़ रुपए दिया है. नगर निगम बजाए पीएम 10 और पीएम 2.5 कणों की वायु में प्रदूषण की मात्रा सुधारने, इस पैसे को सड़कों का पैचवर्क करने और पेवर ब्लॉक बिछाने में खर्च कर रहा है.15वें वित्त आयोग से मिली राशि को अपने मनमाफिक खर्च करने की अनुमति देने निगम ने राज्य शासन को चिट्ठी भी लिखी है.इधर 55 सड़कों की मरम्मत के लिए 208.31 लाख रुपए का टेंडर भी जारी कर दिया है. भिलाई की गिनती देश के प्रमुख प्रदूषित शहरों में होती है.जहां तक राज्य की बात करें तो तीन शहरों काेरबा और रायपुर के साथ ही टि्वनसिटी की 10 लाख आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है.बावजूद नगर निगम प्रशासन शहर काे प्रदूषण मुक्त करने बनाए गए माइक्रो एक्शन प्लान को खारिज कर अपनी मर्जी सेे बदलाव कर दिया है. इस संबंध में निगम प्रशासन का तर्क है.कि एयर क्वालिटी इंडेक्स ने केवल प्रदूषण की मात्रा का पता चलेगा. इस पर पैसा खर्च करना फिजूल है. जहां तक स्मोक टॉवर और एयर प्यूरीफायर की बात है, तो यह भी एक निश्चित एरिया में ही धूल कणों का अवशोषित कर पर्यावरण को शुद्ध करेगा। खुले वायुमंडल के लिए यह पर्याप्त नहीं है.आयुक्त बोले- मशीन से प्रदूषण कम नहीं होगा.पेवर ब्लॉक बिछाएंगे तो सड़क धूलमुक्त होगी।
मशीन के लगाए जाने से फायदा..
हवा की गुणवत्ता जांचने एक्यूआई लगाने से शहर में मेजर पॉल्यूटेड एरिया को खोजने में मदद मिलती। सोर्स की वजह का भी पता चल पाता. इससे नियंत्रण के प्रभावी कदम उठाए जाते, एक्यूआई के अलावा 10 स्मोक टॉवर और 5 एयर प्यूरीफायर लगाने की योजना बनाई गई थी.यह अपने आसपास से प्रदूषित हवा या उसके कणों को सोख लेता है.फिर वापस साफ हवा छोड़ता.इसी तरह हमारे शहर की सड़कों पर हवा में धूल की मात्रा 29 फीसदी आंकी गई है. जिन क्षेत्रों में धूल के गुबार ज्यादा उठते हैं, उन क्षेत्रों में धूल कम करने मिस्ट फाउंटेन लगाए जाने थे।
शहर के वायुमंडल में 58 से 61 फीसदी कार्बन की मात्रा है..
जो कि सेफ लिमिट से कहीं अधिक और खतरनाक स्तर का हैटि्वनसिटी में इंदिरा मार्केट, कचहरी चौक, रायपुर नाका, पावर हाउस और भिलाई-3 सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र है35 करोड़ रुपए से अधिक खर्च, हरियाली कहीं नजर नहीं आतीसाडा से नगर निगम बने 25 साल हो गए। हर साल पौधरोपण व संरक्षण के नाम पर बजट रखा जाता है.अब तक 35 करोड़ से भी ज्यादा खर्च हो चुके हैं, मगर पटरीपार हरियाली कहीं नजर नहीं आती. अब फिर कह रहे हैं.कि नेशनल हाइवे सहित अन्य प्रमुख सड़कों के किनारे पौधे लगाएंगे। इसके लिए वन विभाग को सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रदूषण तेजी से बढ़ने की दो वजह..
1. 77 हजार से ज्यादा 15 साल पुराने वाहन घोल रहे आबो हवा में जहर: जिले में कुल 7 लाख 26 हजार 136 वाहन आरटीओ में रजिस्टर्ड हैं. इसमें 15 साल से ज्यादा पुराने करीब 77 623 वाहन हैं. पर्यावरणविद के मुताबिक ऐसे वाहनों से कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा ज्यादा उत्सर्जित होती है.2 .600 उद्योगों की चिमनी उगल रही रोज काला धुआं: दुर्ग-भिलाई इंडस्ट्रियल एरिया होने की वजह से इंडस्ट्री पॉल्यूशन अधिक होता है. यहां भिलाई इस्पात संयंत्र, कोयले से बिजली पैदा करने वाली यूनिट एनएसपीसीएल के अलावा दर्जनभर निजी बड़े उद्योग और लगभग 600 अन्य छोटे उद्योग हैं।
सीधी बात – रोहित व्यास, आयुक्त ननि भिलाई..
मात्रा जानकर क्या करेंगे, हमें प्रदूषण कम करना ह.वायु गुणवत्ता सुधारने की योजना का क्या हुआ?15वें वित्त आयोग के तहत योजना बनाई गई थी. उसे निरस्त कर दिया है.अब हम शहर को धूल मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.मगर वह तो केंद्र सरकार की योजना थी?उस योजना से सिर्फ प्रदूषण की मात्रा का पता चलता, प्रदूषण कम नहीं होता. प्रदूषण की मुख्य वजह धूल है. अब हम शहर की प्रमुख सड़कों का पैच वर्क करेंगे और किनारे पेवर ब्लॉक लगाएंगे.15 वित्त आयोग की योजना को आपे कैसे बदल सकते हैं?हमने अनुमति के लिए शासन को पत्र लिखा है. उम्मीद है कि जल्द आदेश आएगा. हमने ताे निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। जल्द ही सभी जगहों पर पेवर ब्लाक लगाए जाएंगे, जहां जरुरत होगी वहां मरम्मत करेंगे.समस्या दूर हो जाएगी।