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राजधानी का प्रदर्शन अपराध है तो ठीक उसी दिन भिलाई में कांग्रेस विधायक और महापौर के आंदोलन पर भी एफआईआर हो..
राहुल गांधी ने रोज़गार देने का वादा किया था तो क्या अब वादाख़िलाफ़ी का संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री बघेल के ख़िलाफ़ कारगर निर्णय लेंगे?
रायपुर/ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कहा है कि जिस प्रकार से शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर रायपुर की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस प्रशासन द्वारा आईपीसी की धारा 147 ,188 व 340 के अंतर्गत बलवा व लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन का आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है, यह घोर आपत्तिजनक है और छात्रों के साथ अन्याय है। उपासने ने कहा कि इस आंदोलन के लिए छात्रों को अपराधी बताना उनके भविष्य को चौपट करने के कपटपूर्ण विश्वासघात का उदाहरण है। अपनी राजनीतिक भूख को शांत करने के लिए व अपनी पीठ थपथपाने के लिए इस प्रकार का आपराधिक षड्यंत्र छात्रों के माध्यम से राजधानी की सड़कों पर किया गया। उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार छात्रों पर एफआईआर दर्ज करा इस मामले में भी अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन कर रही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता उपासने ने कहा कि आंदोलनकारियों ने तो अपनी मांगों को लेकर लगातार सरकार को ज्ञापन दिए, पूर्व में धरना दिया और शासन को अपने 22 अगस्त को दिए गए अंतिम ज्ञापन के माध्यम से अल्टीमेटम भी दिया था कि यदि शासन 22 तारीख से 6 सितंबर के मध्य उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं करता है या ठोस निर्णय नहीं करता है तो पूरे प्रदेश के चयनित 14,580 अभ्यर्थी रायपुर की सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे और मुख्यमंत्री आवास का घेराव भी करेंगे। उपासने ने कहा कि इन 15 दिनों की मियाद में शासन को चाहिए था कि उनकी अंतिम चुनौती को गंभीरता से लेता और उनके प्रतिनिधिमंडल से आंदोलन की तारीख से पूर्व उन्हें बुलाकर चर्चा करता। जो आश्वासन आंदोलन के बाद शाम को उन्हें दिया गया, वह काम इस पखवाड़ेभर की अवधि में भी किया जा सकता था व उन्हें यह भी बताया जा सकता था कि कोरोना संक्रमण में सरकार की आर्थिक स्थिति के चलते अभी यह नियुक्तियां तत्काल सम्भव नहीं, और यदि बिना अनुमति प्रदर्शन किया जाएगा तो यह कोरोना संक्रमण के प्रोटोकॉल नियमों के विरुद्ध होने के कारण गिरफ्तारी भी हो सकती है व आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हो सकते हैं। लेकिन, शासन ने यह सब जानबूझकर नहीं किया क्योंकि उन्हें प्रदर्शन की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी थी।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता उपासने ने कहा कि शासन चाहता तो आंदोलन को टाला जा सकता था। परंतु इस प्रदेश के मुख्यमंत्री व गृह मंत्री चाहते थे कि युवा रायपुर की सड़कों पर आएं, प्रदर्शन करें और उसके बाद हम उनके समर्थन में कुछ थोड़ी-सी घोषणा करके अपनी पीठ थपथपाने की राजनीतिक नौटंकी कर श्रेय लूट लें। यही कारण है कि शासन ने अपनी पूर्व नियोजित योजना अनुरूप नौजवानों को हजारों की संख्या में बड़ी आसानी से एकत्र होने दिया, प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी, मुख्यमंत्री निवास की ओर बढ़ते हुए उनसे पुलिस प्रशासन द्वारा हाथापाई व डंडे चलाने आदि दिखाने की कवायद की गई और शाम को वही हुआ, जो पूर्व नियोजित था और अनिश्चितकालीन आंदोलन को छोटी-सी घोषणा कर समाप्त करा दिया गया। जब भाजपा ने सरकार पर उंगली उठाई कि आखिर लॉकडाउन के दौरान यह प्रदर्शन क्यों होने दिया गया? लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन की छूट क्यों दी गई ? इसके लिए मुख्यमंत्री और गृह मंत्री दोषी हैं तो अपनी नाकामी व प्रशासनिक अक्षमता व राजनीतिक षड्यंत्र पर पर्दा डालने अपना दोष उन्होंने अपनी सत्ता के बल पर आंदोलनकारी छात्रों पर ही मढ़ दिया। उनके खिलाफ बलवा व लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के अपराध कोतवाली थाना रायपुर में पंजीबद्ध कर उनके घर पुलिस भेजने का काम चालू कर दिया, यह न केवल तानाशाही है बल्कि पीठ में खंज़र चलाने जैसा कृत्य है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता उपासने ने कहा कि सारे आंदोलन का दोष यदि किसी का है तो वह प्रदेश के मुख्यमंत्री व गृह मंत्री का है जिन्होंने लगभग 15 हज़ार नौजवानों को प्रशासन की छूट व सरकार की अकर्मण्यता के कारण पूरे प्रदेश से रायपुर की सड़कों पर एकत्र होने दिया जबकि राजधानी पूरी तरह से कोरोना संक्रमित हो रेड ज़ोन एरिया घोषित है। ऐसे समय में हजारों लोगों को रायपुर की सड़कों को एकत्र कर यह महामारी यह संक्रमण नौजवानों के माध्यम से पुलिस के जवानों के माध्यम से पूरे प्रदेश में फैलाने का व्यापक षड्यंत्र प्रदेश सरकार द्वारा किया गया। उपासने ने मांग की है कि आंदोलनकारी छात्रों के विरुद्ध पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरण तत्काल वापस लेकर आंदोलनकारियों के घर गिरफ्तारी हेतु पुलिस भेजना तत्काल रोका जाए व आईपीसी की धाराओं के अंतर्गत मुख्यमंत्री व गृह मंत्री के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया जाए जिन्होंने इस भीड़ को एकत्र करने का षड्यंत्र किया व पूरे प्रदेश की जनता की जान को जोखिम में डालने का कुत्सित षड्यंत्र रचा। उपासने ने कटाक्ष किया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी थी लेकिन अब उसे पुलिस की रिपोर्ट में तब्दील करके मुख्यमंत्री अपनी सरकार के निकम्मेपन को ढँकने का काम कर रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता उपासने ने प्रदेश सरकार पर कोरोना नियमों की आड़ लेकर दोहरे चरित्र के प्रदर्शन का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ राजधानी में बेरोज़गार शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रदर्शन पर कोरोना नियमों की आड़ लेकर कई धाराओं के तहत आपराधिक मामले दर्ज़ कराती है, वहीं ठीक उसी दिन भिलाई में कांग्रेस विधायक और महापौर देवेंद्र नायक द्वारा किए गए आंदोलन को प्रदेश सरकार ने कोरोना नियमों के तहत अपराध की श्रेणी में क्यों नहीं रखा? नियमों के मुताबिक तो भिलाई में हुए आंदोलन को लेकर भी एफआईआर की जाए। उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार पहले अपने दामन में भी झाँके और प्रदेश को बताए कि जन्मदिन के कार्यक्रमों, सीएम हाउस में तीजा-पोला के नाम पर जुटी भीड़, संसदीय सचिवों व निगम-मंडलों की नियुक्ति से पहले कांग्रेस भवन और सीएम हाउस में लग रहे मजमे और नियुक्तियों के बाद हुए शपथ व पदग्रहण समारोहों को वह कोरोना नियमों से किस आधार पर परे मान रही है? उपासने ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के बेरोज़गार युवकों को रोज़गार देने का वादा किया था तो क्या अब राहुल गांधी प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल की वादाख़िलाफ़ी का संज्ञान लेकर इसे कांग्रेस नेतृत्व की अवमामनना मानकर मुख्यमंत्री बघेल के ख़िलाफ़ कोई कारगर निर्णय लेंगे?