लालाधुर्वा-जोगनीपाली में प्रस्तावित खदान का विरोध तेज, जनसुनवाई के विरोध में कलेक्टर को दिया ज्ञापन..

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सारंगढ़-बिलाईगढ़// सारंगढ़ तहसील के लालाधुर्वा-जोगनीपाली ग्राम में 24 सितंबर को प्रस्तावित खदान परियोजना की जनसुनवाई से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। स्वस्तिक मजदूर सेवा समिति के जिलाध्यक्ष जयप्रकाश सोनी ने कलेक्टर को आवेदन देकर जनसुनवाई और परियोजना से जुड़े कई गंभीर बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज की है।

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जनसुनवाई को लेकर सवाल

जयप्रकाश सोनी का कहना है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार आवेदन के 45 दिनों के भीतर जनसुनवाई होना चाहिए। देरी होने पर जनसुनवाई केंद्रीय समिति की निगरानी में कराई जानी चाहिए। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा 24 सितंबर को आयोजित की जा रही जनसुनवाई नियमों के विपरीत है।

स्वास्थ्य और पर्यावरण पर खतरे की आशंका

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित लाइनस्टोन खदान से उठने वाली डस्ट से टीबी, अस्थमा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। कंपनी की रिपोर्ट में इन बीमारियों की रोकथाम या इलाज का कोई जिक्र नहीं है। इसी तरह बच्चों और बुजुर्गों पर होने वाले प्रभाव, आसपास के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति, स्वास्थ्य केंद्रों पर पड़ने वाले असर की जानकारी रिपोर्ट में नहीं दी गई है।

जल संकट और प्रदूषण की चिंता

विरोध दर्ज करने वालों ने आशंका जताई है कि खदान के कारण 5 किलोमीटर दायरे में भूजल स्तर गिर जाएगा और जल स्रोत प्रदूषित होंगे। इससे खाज-खुजली, पीलिया जैसी बीमारियां फैल सकती हैं। साथ ही स्थानीय नालों और महानदी पर प्रदूषण का खतरा होगा, जिससे कृषि उत्पादन भी प्रभावित होगा।

रोजगार पर असर

कंपनी का कहना है कि परियोजना से 107 लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि 200 हेक्टेयर भूमि पर खनन से 8 से 10 गांवों के किसान और मजदूर प्रभावित होंगे। कृषि जमीन पर संकट आने से हजारों लोग बेरोजगार हो सकते हैं।

यातायात और बुनियादी ढांचे पर असर

विरोध के बिंदुओं में यह भी कहा गया है कि खदान से माल ढुलाई के लिए भारी वाहनों का इस्तेमाल होगा, जिससे सड़कों पर दबाव और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ेगी। वहीं, कंपनी द्वारा प्रतिदिन 150 केएलडी पानी भूजल से लेने की योजना है, जिससे 10 किलोमीटर दायरे में जल संकट गहराएगा।

विरोध का ऐलान

जयप्रकाश सोनी ने स्पष्ट कहा है कि खदान परियोजना से स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और आजीविका पर गंभीर खतरे पैदा होंगे, इसलिए संगठन इसका विरोध करता है और जनसुनवाई में भी इसका मुद्दा जोरदार तरीके से उठाएगा।

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