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रायपुर/ छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों ने नई पेंशन स्कीम को लगभग पूरी तरह खारिज कर दिया है। प्रदेश में एक नवंबर 2004 से 31 मार्च 2022 के बीच सरकारी सेवा में आने वाले जिन कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) या पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) में से किसी एक को चुनने का विकल्प सरकार ने दिया था, उनमें से 97 प्रतिशत कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन स्कीम को चुन लिया है। इसी के साथ यह भी तय हो गया कि छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन स्कीम चालू रहेगी। इसी के साथ इस अवधि में नौकरी में आए करीब 2.99 लाख कर्मचारियों की दुविधा भी दूर हो गई।
छत्तीसगढ़ शासन ने प्रदेश में 1 अप्रैल 2022 से नई पेंशन योजना को बंद करके पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी है। तब राज्य सरकार ने ही समाधान निकालते हुए कर्मचारियों को 2 विकल्प दे दिए। कर्मचारी ओपीएस चुनें या एनपीएस। मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में नवंबर-2004 मार्च 2022 के बीच नौकरी में आए 2,87,964 (97 प्रतिशत) कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना को चुन लिया है। केवल 2,265 कर्मचारियों ने ही नई पेंशन स्कीम एनपीएस को चुना है।
उनका पेंशन अंशदान पहले की तरह एनएसडीए में जमा होता रहेगा। सभी ने शासन को 3 पेज का शपथ-पत्र भी दे दिया है। साल 2022 में राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ ओपीएस लागू करने वाला दूसरा राज्य बना। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ओपीएस लागू करने की घोषणा की तो कर्मचारियों ने जश्न मनाया। मगर, पेंच दिल्ली में जाकर फंस गया। दरअसल, साल 2004 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने ओपीएस को बंद कर, लोकसभा से एनपीएस का बिल पास करवाया। वह इसलिए ताकि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आजीवन पेंशन न देनी पड़ी।
सरकार पर आर्थिक बोझ कम हो। इस बिल पर सभी राज्यों की सहमति थी। साल 2004 से 2022 तक कर्मचारियों के वेतन से एनपीएस की राशि काटी गई, जो नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी अथॉरिटी (एनएसडीए) में जमा होती रही। जो 17,200 करोड़ रुपए है। मगर, जब राज्य सरकार ने इस राशि को लौटाने की मांग कि तो केंद्र ने नियमों का हवाला देते हुए राशि लौटाने से साफ इनकार कर दिया।
तब सरकार ने कर्मचारियों के लिए दोनों विकल्प खोल दिए। उधर, 1 अप्रैल 2022 के बाद नियुक्त कर्मचारी ओपीएस में ही रहेंगे। इन्हें विकल्प नहीं मिलेगा। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने राज्य शासन से मांग कि है सैंकड़ों ऐसे कर्मचारी हैं जिन्होंने शपथ-पत्र तो ओपीएस का दिया, लेकिन हड़बड़ी में चॉइस फिलिंग में एनपीएस का विकल्प भर दिया। कई जगहों पर ऑपरेटर ने गलती की। ऐसे कर्मचारियों को त्रुटिसुधार का अवसर मिलना चाहिए।
एनपीएस में जमा पैसों की वापसी, ओपीएस को ऐसे समझें
सवाल- एनपीएस में 2004 से 2022 तक जो पैसे जमा किए गए हैं, उनका रिफंड वगैरह किस तरह होगा?
जबाव- 1 अप्रैल 2004 से 1 अप्रैल 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में जितनी भी नियुक्तियां हुईं, उन पर एनपीएस लागू था। इस दौरान कर्मचारियों के बेसिक से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती थी। इतना ही अंशदान राज्य सरकार करती थी। यह राशि रिटायर्मेंट पर या मृत्यु होने पर मिलेगी। लेकिन कर्मचारियों को राज्य के हिस्से का 10 प्रतिशत अंशदान वापस करना होगा।
सवाल- पुरानी पेंशन योजना में अब कितनी राशि वेतन से कटेगी? कितनी पेंशन दी जाएगी?
जवाब– 1 अप्रैल 2022 से लागू हुए ओपीएस के तहत छत्तीसगढ़ सामान्य भविष्य निधि नियमानुसार कर्मचारियों के बेसिक (मूल वेतन) से 12 प्रतिशत राशि कटेगी। सरकार का कोई अंशदान नहीं होगा। रिटायरमेंट के समय बेसिक सैलेरी का आधा, बतौर पेंशन मिलना शुरू हो जाएगा। हालांकि शुरू से 2004 तक पेंशन का यही सिस्टम देशभर में लागू था।
एनपीएस को इसलिए किया खारिज
कर्मचारियों की माने तो ओपीएस में भविष्य सुरक्षित होगा, पेंशन मिलेगी। एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद 60 प्रतिशत राशि तो एकमुश्त मिलेगी, लेकिन 40 प्रतिशत राशि को पेंशन फंड में इंवेस्ट करना ही होगा। इसमें रिटायरमेंट के बाद आजीवन पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है।
शपथ-पत्र नहीं तो शासन निर्णय लेगी
“कर्मचारियों में से अधिकांश ने ओपीएस को चुना है। जिन्होंने किसी कारणवश विकल्प का चयन कर शपथ-पत्र नहीं दिया है, उनके बारे में शासन निर्णय लेगी।”
-शारदा वर्मा, विशेष सचिव-वित्त