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रायगढ़// बरसात का मौसम आते ही सभी तरफ कीचड़ की बाढ़ आ जाती है वही जब सड़क कच्ची हो तो आने जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में समस्या के समाधान के लिए पीड़ितो के पास शासन-प्रशासन से गुहार लगाने के अलावा कोई रास्ता नही बचता। मगर जब बात वहां भी नही बनती तो ध्यानाकर्षण के लिए मजबूरन अनोखा रास्ता चुनना पड़ता है।
आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे मसानकुडा गांव के ग्रमीणों ने अपनाया है। जी हां, जिला मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर अंतिम छोर पर बसे बरमकेला तहसील का यह गांव इन दिनों चर्चा में है। मसानकुडा के ग्रामीणों ने बीते 15 साल से सड़क निर्माण के लिए विधायक के जनप्रतिनिधि व स्थानीय शासन प्रशासन से अनेक बार शिकायत की परंतु आज तक उन्हें मात्र आश्वासन के और कुछ नही मिला। जिस वजह से आक्रोशित ग्रामीणों ने कीचड़ युक्त सड़क पर धान रोपित कर अपनी समस्या के प्रति ध्यानाकर्षित किया।

15 साल में नहीं बन सका 3 किलोमीटर सड़क
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार गांव में महज तीन किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है लेकिन जनप्रतिनिधि व अधिकारियो का ध्यान अबतक इस ओर नही दिया गया है। वर्तमान में सड़क की स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग अब इस पर चलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। दुर्घटना होने की संभावना आएदिन बनी रहती है। अगर मोटरसाइकिल वाला सड़क से गुजरे तो वह भी लड़खड़ा कर गिर जाता है इतना ही नही इस सड़क पर साईकल चलाना भी दुश्वार हो रहा है। आलम यह है कि गांव के लोग बड़ी मुश्किल से सड़क से आवाजाही कर रहे हैं।
ग्रामीण त्रिलोचन मालाकार बताते हैं कि बरसात के दिनों में हमेशा जलजमाव रहता है, जिससे काफी परेशानी होती है। आने जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण कहते हैं कि हमारी सुनने वाला कोई नहीं है और हम परेशान हैं। इसलिए अब सरकार से दरख्वास्त करते हैं कि हमारी सड़क बनवा दें। वहीं सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए हम लोगों ने इस सड़क पर धान का रोपा लगाया है।
ग्रामीण राजेश पटेल ने बताया कि उन्हें खराब सड़क की वजह से फसल कटने के बाद धान की बिक्री हेतु मंडी ले जाने के लिए 7 से 8 किलोमीटर दूर गुजर कर जाना पड़ता है। अगर सड़क की स्थिति सही होटी तो उन्हें महज 3 किलोमीटर दूर स्थित लेन्ध्रा गांव में उनका धान बिक्री हो जाता। परंतु खराब सड़क की वजह से उन्हें दूर का सफर तय करना पड़ता है जिससे उन्हें काफी परेशानियां झेलनी पड़ती है।
प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से भी की गई थी शिकायत
ग्रामीणों ने बताया कि कुछ साल पहले खस्ताहाल सड़क के बारे में प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भी स्पीड पोस्ट के जरिए मामले की शिकायत की गई थी परंतु उनसे आज तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है।

स्कूल के दिनों में विद्यार्थी भी होते हैं परेशान
ग्रामीण उत्तम डनसेना ने बताया कि स्कूली छात्र-छात्राएं को भी बरसात के दिनों में सड़कों पर जलभराव होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनके स्कूल ड्रेस भी सड़क पर भरे मटमैले पानी की वजह से गंदे हो जाते हैं। सड़कों पर चलना दूभर हो जाता है।
एक ओर शासन प्रसाशन द्वारा विभिन्न योजनाओ के माध्यम से देश-प्रदेश में विकास का ढिंढोरा पिटा जा रहा है वही दूसरी ओर जिले के अंतिम छोर में बसे ग्रामीण आज भी इन योजनाओं से अछूते है। नतीजतन विकास की राह देखते तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल मसानकुडा के ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क पर धान का रोपा तो लगा दिया गया है पर इनकी समस्या का समाधान कब तक किया जाता है यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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