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रायगढ़/ जिले के शहरी क्षेत्र में अव्यवस्था का आलम प्रशासन और नगर निगम के लापरवाही का पर्याय बना हुआ है क्योकि बरसात आते ही नगर निगम की सारी व्यवस्थाओ की पोल खुलने लगती है. वही छोटे व्यापारियो से लेकर आम जनता भी निगम और प्रशासन की निष्क्रिय रवैये के चलते भारी समस्याओ का सामना करते है. निगम और प्रशासन की पोल खोलने वाला ऐसा ही एक नजारा इन दिनों नटवर स्कूल ग्राउंड में दिख रहा है. जहां सब्जी व्यापारी निगम और प्रशासन की लापरवाही की मार झेलते त्रिपाल बिछा कर जमींन में ही दूकान लगा रहे है और बरसात में सब्जिओ में कीचड़ के छींटे पड रहे है. जिससे न केवल सब्जी दूकान लगाने वाले व्यापारियों को समस्या हो रही है बल्कि आम नागरिक भी कीचड़ युक्त सब्जी खरीदने के लिए मजबूर हो रहे है. वही नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही से आम जनता बिमारी की चपेट में आ सकते है.
आपको बता दे कि लॉकडाउन के कारण जिला प्रशाशन व नगर निगम ने सुबह 5 बजे से सुबह 10 बजे तक सब्जी दुकान लगाने के लिए समय सीमा तय किया है और सब्जी विक्रेताओं को छूट प्रदान किया गया है. जिसमें कई जगहों को चिन्हित किया गया है जहां शहरवासी सब्जी की खरीदारी कर सके और शहर वाशियों को सब्जी की किल्लत ना हो लेकिन आज शहर के नटवर स्कूल ग्राउंड में सब्जियों को बरसात से उत्तपन्न कीचड़ में गंदे होते नजर आया. सब्जी के विक्रेता नगर निगम द्वारा कोई व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण नटवर स्कूल के जमीन में ही तिरपाल बिछा कर सब्जी बेचने को मजबुर है सामान्य दिनों में मौसम अच्छा होने के कारण उन्हें कोई परेशानी नहीं होती थी लेकिन आज सुबह सुबह झमाझम बारिश रायगढ़ शहर में देखने को मिली जिस दौरान नटवर स्कूल ग्राउंड में तालाब की तरह लबालब पानी भर गया जो बाद में कीचड़ में बदल गया. गरीब सब्जी वालो के सब्जी भी नगर निगम के अव्यवस्था के कारण खराब हो रहे हैं जिनसे सब्जी वालो को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है.
बहार हाल वर्तमान में नटवर स्कुल परिसर सहित शहरी क्षेत्रो में चिन्हांकित स्थलों में अव्यवस्थाओ के बिच सब्जी व्यापारी दूकान लगाने को मजबूर है और इससे उनको आर्थिक नुक्सान का सामना करना पड रहा है. और प्रशासन और नगर निगम लापरवाही पूर्वक मूक दर्शक बने कुम्भ्कर्निया नींद में सोय हुए है. लेकिन देखने वाली बात होगी की प्रशासन और निगम की आँखे इन अव्यवस्थाओ की ओर कब तक खुलती है है इन व्यापारियों सहित आम नागरिको को हो रहे समस्याओ का निदान आखरी कब तक कर पाती है.
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