दर्द से कराह रहे युवक ने कहा “कम से कम मुझे ऑक्सीजन चढ़ा दीजिये, मुझे ठीक नही लग रहा”, युवक की हो गयी मौत.. पिता ने अस्पताल स्टाफ पर लगाये गम्भीर आरोप

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कोरबा/ कुसमुण्डा क्षेत्र में मौत का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है. अलग-अलग घटनाओं में महज 10 दिन में जहां अब तक 4 से 5 लोगो की मौत हो चुकी है, वही आज तड़के सुबह 32 वर्षीय युवा विश्वनाथ प्रताप सिंह की भी मौत हो गयी. विश्वनाथ प्रताप सिंह कुसमुण्डा क्षेत्र के रिटायर्ड एसईसीएल कर्मी शरयु प्रसाद लसेर के छोटा सुपुत्र था और वर्तमान में कबीर चौक स्थित निजी आवास में रहते था.

बीती रात करीब 2 बजे उसके सीने में दर्द हुआ, जब दर्द अधिक होने लगा तो चिंतित परिजन युवक को करीब 3 बजे विकास नगर स्थित एसईसीएल अस्पताल ले गए. पिता के बताए अनुसार अस्पताल चारो तरफ से बन्द था, सामने गेट पर ताला लगा हुआ था, वे आवाज देते रहे, चिल्लाते रहे लगभग आधे घण्टे से अधिक का समय बीत जाने के बाद गेट खोला गया. युवक को अंदर ले जाया गया, जहां महिला स्टाफ द्वारा इलाज के लिए एसईसीएल स्वास्थ्य कार्ड दिखाने की बात कही. मृतक के पिता ने कहा की मैं रिटायर्ड हो चुका हूं कार्ड भी जमा हो गया है, इस तरह से महिला स्टाफ हमारे साथ बहस कर रही थी, इस बीच दर्द से कराह रहे मेरे बेटे ने स्वयं स्टाफ से कहा कि “मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है मुझे ऑक्सीजन लगा दो” और वह बेहोश हो गया.

थोड़ी देर में युवक को ऑक्सीजन दिया गया, ईसीजी किया गया, लेकिन युवक दुबारा नही उठा. थोड़ी देर में अस्पताल प्रबंधक डाँ अरविंद कुमार आये जिन्होंने हृदयाघात से युवक की मौत की पुष्टि की. मीडिया द्वारा डाँ अरविंद कुमार से इस बारे में बात की तो उनका कहना था कि “जब मुझे घटना की जानकारी हुई तब मैं भी अस्पताल पहुंचा तब तक युवक की मौत हो चुकी थी, वही महिला स्टाफ ने बताया कि उन्होंने गाड़ी की आवाज सुनते ही दरवाजा खोल दिया था और कार्ड की मांग की थी पर कार्ड नहीं होने पर भी मरीज की हालात को देखते हुये उसे जल्दी से जल्दी ऑक्सीजन व प्राथमिक उपचार दिया गया था.

गार्ड नही होने के सवाल पर डॉक्टर ने बताया कि कुसमुण्डा प्रबन्धन के अधिकारियो को इसके लिये कई बार बोला गया है पर ध्यान नही दिया जा रहा. तमाम दावों के बीच क्षेत्र के एक युवक की मौत हो गयी, मृतक अपने पीछे माता-पिता, भाई, पत्नी व ढेड़ वर्ष के बच्चे को रोता बिलखता छोड़ गया. अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है की इस मौत के पीछे किसकी गलती थी अस्पताल स्टाफ की, अस्पताल प्रबंधन की या फिर हालातों की. अब देखना होगा की मृतक के पिता द्वारा अस्पताल स्टाफ पर लगाये गए आरोपों पर क्या कार्यवाही होती है.

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