जिले में दो बाल विवाह रोका गया, जिला कलेक्टर द्वारा बाल विवाह रोकने गठित समिति बाल विवाह रोकने में हुई कामयाब

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मुंगेली/ राज्य शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने जिले मे बाल विवाह रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई और पुलिस विभाग के अधिकारियो की संयुक्त टीम का गठन किया है. बाल विवाह की रोकथाम हेतु गठित टीम द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र कश्यप के मार्ग दर्शन मे लगातार कार्य किया जा रहा है.

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इसी कडी मे गठित टीम को विगत दिनो जिले के हरदी गांव के मंदिर में दो बाल विवाह होने की सूचना प्राप्त हुई . सूचना मिलते ही संयुक्त टीम विवाह स्थल पहुचे. जहां बाल विवाह की रोकथाम हेतु गठित टीम के द्वारा कार्यवाही करते हुए बालिका एवं बालक का उम्र सत्यापन संबंधी दस्तावेज शैक्षणित अंकसूची की जांच की गई. दस्तावेज के आधार पर बालिका की आयु 17 वर्ष तथा बालक की आयु 20 वर्ष होना पाया गया. जो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार बालिका एवं बालक का उम्र विवाह योग्य नही था. जिस पर संयुक्त टीम द्वारा बाल विवाह को रोका गया. इस अवसर पर टीम द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की जानकारी दी गई .


उन्होने बालिका एवं बालक के परिजनों को बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार लडकी की आयु 18 वर्ष से कम व लड़का का आयु 21 वर्ष से कम उम्र के विवाह को प्रतिबंधित किया है. बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानून अपराध भी है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता , सगे संबंधी, बाराती यहां तक की विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है. इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर 2 साल तक के कठोर कारावास या 1 लाख रूपये तक जुर्माना दोनो से दण्डित किया जा सकता है. बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण , शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है. बाल विवाह रोकथाम के दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारी सहित ग्राम पंचायत सरपंच एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी उपस्थित थी.

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