कोटा से लौटे बच्चों की स्वास्थ्य जांच के बाद नवोदय विद्यालय भूपदेवपुर में रखा गया है क्वारेन्टीन में, कलेक्टर यशवंत कुमार ने बच्चों की देखभाल के लिए तैनात की विभिन्न विभागों की टीम.

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रायगढ़/ कोटा से वापस आये बच्चों को नवोदय विद्यालय भूपदेवपुर में क्वारेंटीन में रखा गया है। यहां उनके रूकने की सारी व्यवस्था की गई है। प्रशासन के विभिन्न विभागों की टीमें बच्चों की देखभाल के लिए तैनात है। यहां बच्चों को 14 दिनों की क्वारेंटीन अवधि बितानी होगी।

उल्लेखनीय है कि कोटा से बच्चों को लेकर बसें कल रायगढ़ जिले में पहुंची। उनका स्वास्थ्य परीक्षण डॉक्टर की टीम द्वारा रायगढ़ के ईडन गार्डन में बनाये गये चेकअप सेंटर में किया गया। इस दौरान कलेक्टर यशवंत कुमार भी व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे और बच्चों से बात की। उन्होंने बच्चों से उनकी यात्रा के बारे में जानकारी ली और मनोबल बढ़ाते हुए समझाया कि अभी सब को स्वास्थ्य की दृष्टि से डॉक्टरों की निगरानी में क्वारेंटीन सेंटर में रखा जाएगा। यहां पर सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है। किसी बात की चिंता ना करें।

मालूम हो कि कल शाम जशपुर जिले के 55 बच्चों को रायगढ़ में क्वारेंटीन में रखने के लिए लाया गया। जिसके आधार पर सारी व्यवस्थाएं प्रशासन द्वारा समय से पूर्ण कर ली गई थी। उनके खाने-पीने व रुकने का इंतेजा कर लिए गए थे। किन्तु देर रात सरगुजा संभाग के 49 और बच्चों को रायगढ़ में रोके जाने के निर्देश मिले। जिस पर तत्काल अधिकारियों द्वारा अतिरिक्त लोगों की रोके जाने की व्यवस्था रात में ही की गई। बाद में आने वाले बच्चों का नवोदय विद्यालय में पहुंचने का सिलसिला सुबह लगभग 6 बजे तक जारी रहा। इस प्रकार कुल 104 बच्चे क्वारेंटीन सेंटर में रोके गए हैं जिनमे 58 लड़के एवं 46 लड़कियां शामिल हैं। इसके साथ कोटा में कुछ बच्चों के पेरेंट्स भी साथ रह रहे थे ऐसे 8 पालक को भी स्वास्थ्य जांच कर रखा गया है। बच्चों के साथ लौटे 2 सुरक्षा कर्मियों की भी जांच कर उन्हें यहीं क्वारेन्टीन किया गया है।

कलेक्टर श्री यशवंत कुमार निर्देश पर क्वारेंटीन सेंटर में नियमित सेनेटाईजेशन किया जा रहा है। बच्चों को मॉस्क और हेण्ड सेनेटाईजर भी दिया गया। लंच और डिनर के साथ सुबह-शाम को नाश्ता भी दिया जा रहा है। बच्चों के मनोरंजन के लिए इंडोर गेम्स व चेस, कैरम भी उपलब्ध करवाया गया। राजस्व, स्वास्थ्य, पुलिस, खाद्य और ट्रायबल विभाग की टीमें अपने अधिकारियों के नेतृत्व में बच्चों की देखभाल में लगी हुई है।

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