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कवर्धा/ कोरोना संक्रमण को लेकर जिले के अधिकारी कर्मचारियों की एक और लापरवाही सामने आई है. दरअसल मामला बोड़ला ब्लॉक के चिल्फी का है. जहां भोपाल से कोरबा जा रहे 7 लोगों को 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में रखा गया था. जिसमें 5 लड़कियां और 2 लड़के शामिल थे. लेकिन लड़को को केवल 4-5 दिन ही रखा गया और बिना किसी जांच के उन्हें कोरबा जाने दिया गया. वहीं लड़कियों को बोड़ला लाया गया और हॉस्टल में क्वारंटीन किया गया. आज 20 दिनों से भी ज्यादा हो गया है उन्हें क्वारंटीन से छुट्टी नहीं दी गयी है. जिसके चलते कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.
वहीं इस पूरे मामले पर बोड़ला एसडीएम विनय कुमार सोनी नायब तहसीलदार मनीष वर्मा से बात करने कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं. जबकि नायब तहसीलदार मनीष वर्मा सैंपल का रिपोर्ट नहीं आने का हवाला दे रहे हैं. मनीष वर्मा का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाता तब तक इन्हें जाने नहीं दिया जाएगा. सवाल ये कि जब 20 अप्रैल से लड़कियों को क्वारंटीन में रखा गया है. तब लड़को को 5 दिनों में ही क्यों जाने दिया गया? आखिर उन्हें कोरबा जाने का परमिशन किसने दिया ? साथ ही सवाल यह भी है कि 20 दिनों से ज्यादा होने के बाद भी जांच रिपोर्ट आने में इतना वक्त क्यों लग रहा है? जबकि कोटा से आये बच्चों का रिपोर्ट मात्र एक सप्ताह में आ गया और उन्हें उनके घर भी पहुंचा दिया गया.
वही लड़कियों ने अधिकारियों पर बंधक बनाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि कोटा के विद्यार्थियों को भी छुट्टी मिल गयी. लेकिन हम असहाय मजबूर लड़कियों को यहां बंधक की तरह रखा गया है और हमारे परिजन बहुत ज्यादा चिंतित हो रहे हैं वो जल्दी से जल्दी अपने परिवार वालों के पास जाना चाहती हैं.
लड़कियों के माता- पिता अपने बच्चों के लेकर बेहद चिंतित है और किसी तरह की अनहोनी ना होने की आशंका जता रहे हैं. आपको बता दे की उन्हीं में से एक लड़की ने बताया कि उनके घर वाले बेहद चिंतित हैं और घर आने का इंतजार कर रहे हैं. इसके लिए कोरबा के प्रसाशनिक अमलों से भी गुहार लगा चुके हैं और कवर्धा जिले के अधिकारियों से भी विनती कर रहे हैं. इसके बावजूद अधिकारी -कर्मचारी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं.
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