महिला स्वास्थ्य अधिकारी ने की आत्महत्या : संघ में अफसरों पर प्रताड़ना का आरोप, स्वास्थ्य मंत्री को कार्रवाई हेतु भेजा पत्र..

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रायपुर// छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले से हृदयवृदारक घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य प्रणाली की क्रूर सच्चाई को उजागर किया है. छुईखदान के आयुष्मान आरोग्य मंदिर जंगलपुर में पदस्थ महिला स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) आरती यादव ने विभागीय अफसरों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने 15 मई को दुर्ग जिले के धनोरा स्थित अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. इस घटना के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश सामुदायिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ ने विभागीय अफसरों को जिम्मेदार ठहराया है. संगठन ने आरोप लगाते हुए कहा है कि अफसरों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के चलते महिला अधिकारी ने यह घातक कदम उठाया है. अब तक पूरे प्रदेश से महिला स्वास्थ्य अधिकारी-कर्मचारी पर प्रताड़ना के 26 केस आ चुके हैं.

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जानकारी के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) में आरती यादव संविदा के तहत बतौर सीएचओ पदस्थ थीं. एक माह पहले आरती के पति का सड़क हादसे में निधन हो गया, जिससे वह काफी आहत थी. पति को दुर्घटना में खोने के बाद उसने छुट्टी की गुहार लगाई, मगर विभागीय अधिकारी ने उसे ठुकरा दिया. निजी परेशानी के चलते आरती स्वास्थ्य केंद्र नहीं जा रही थी. ऐसे में उनकी अनुपस्थिति को लेकर विभागीय अफसरों ने शासन-प्रशासन से शिकायत कर दी. इसके बाद सीएमएचओ कार्यालय से तत्काल सेवा में उपस्थिति के लिए पत्र जारी किया गया. काम में अनुपस्थित होने पर सीएचओ के वेतन में कटौती करने की चेतावनी भी दी गई और सीआर भी खराब करने की हिदायत दी गई.

छत्तीसगढ़ प्रदेश सामुदायिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों का कहना है कि विभागीय अफसरों के रवैये से परेशान होकर सीएचओ आरती यादव ने स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन वह अपना स्थानांतरण दुर्ग कराने प्रशासनिक अफसरों के चक्कर लगा रही थी. मानसिक तनाव के चलते सीएचओ यादव ने खुदकुशी कर ली. संगठन के प्रांताध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार ने विभागीय अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल से महिला कर्मियों को प्रताड़ित करने के मामले में बढ़ोतरी हो रही है. पिछले तीन वर्षों में पांच CHO ने कार्य दबाव में जान गंवाई है. सरकार को फौरन महिला कर्मियों के विषय पर संज्ञान लेना चाहिए.

छत्तीसगढ़ राज्य एनएचएम कर्मचारी संघ और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ संयुक्त ने कहा, “यह मौत एक मां की नहीं, पूरी व्यवस्था की हार है.” संघ ने मांग की है कि उचित कार्यभार, मानसिक स्वास्थ्य सहायता मिले और संविदा शोषण का अंत हो. सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ द्वारा लगातार सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के नियमितीकरण, स्थानांतरण समेत विभिन्नन मांगों के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा.

सुरक्षा को लेकर करेंगे प्रदेशव्यापी आंदोलन : प्रांताध्यक्ष

संघ ने कहा, पूरे प्रदेश में महिला स्वास्थ्य कर्मी पर होने वाले महिला प्रताड़ना का केस बढ़कर 26 हो चुका है. इस संबंध में संघ ने स्वास्थ्य मंत्री, महिला बाल विकास मंत्री, मिशन संचालक समेत कई आला अधिकारियों को पत्र प्रेषित किया है. उक्त पत्र के अवलोकन उपरांत महिला सुरक्षा को नजर में रखते हुए महिला बाल विकास मंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री को मांग पूरा करने पत्र प्रेषित किया था परंतु अभी तक धरातल में किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नजर नहीं आई है. अगर उक्त मांग पत्र पर कार्यवाही नहीं होती तो भविष्य में इस प्रकार के कृत होने की संभावना बनी रहेगी. संघ के प्रांताध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार ने कहा कि मानसिक प्रताड़ना की घटना से प्रदेश के 3500 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी आक्रोशित है. स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा समेत अन्य मांग पर अगर शासन समय रहते उचित संज्ञान नहीं लिया तो संघ प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन करने बाध्य होगा.

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को संघ ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा है कि यह घटना अत्यंत दर्दनाक एवं गंभीर विषय है. 2 साल में लगभग 25 प्रकरण से अधिक प्रकरण महिला सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ अaनाचार, हत्या, सामूहिक बलात्कार, मानसिक प्रताड़ना जैसी घटना हुई है. इसका विधिवत शिकायत / FIR भी दर्ज है, जिसमें से 17 प्रकरण की दस्तावेजों सहित जानकारी संघ के पास उपलब्ध है.

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