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नई दिल्ली// हवाई यात्रा अपनी तेज़ी और सुविधा के लिए जानी जाती है, लेकिन जब कभी कोई दुर्घटना होती है, तो उसके परिणाम बेहद घातक और व्यापक होते हैं। इन हादसों ने न सिर्फ परिवारों की खुशियाँ छीन लीं, बल्कि एविशन सुरक्षा के मानकों और प्रक्रियाओं में भी बदलाव की आवश्यकता स्पष्ट कर दी। नीचे सबसे पहले भारत में हुए श्रेष्ठतम और सबसे जानलेवा विमान हादसों का क्रमबद्ध विवरण दिया गया है, उसके बाद विश्व के बड़े हादसों का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
भारत के सबसे भीषण विमान हादसे
- चर्की-डैडी मिड-एयर कोलिज़न (12 नवंबर 1996)
हरियाणा के चर्की-डैडी क्षेत्र के आकाश में सऊदी एयरलाइंस का बोइंग और कज़ाकिस्तान एयरलाइंस का इल्युशिन विमान आपस में टकराया। दोनों विमानों की ऊँचाइयों में असंतुलन और वायु नियंत्रण में तकनीकी चूक के कारण यह हादसा हुआ, जिसमें कुल 349 यात्री और दल के सदस्य मारे गए। - एअर इंडिया फ्लाइट 855 (1 जनवरी 1978)
मुंबई से पोन्टीचेरी जा रही बोइंग 747 टेक-ऑफ के दो मिनट बाद समुद्र में समा गई। उड़ान के दौरान गैयरोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट फेलियर और चालक दल की स्थिति का सही आकलन न कर पाने के कारण विमान असंतुलित हो गया और 213 लोग अपनी जान गंवा बैठे। - कोझिकोड एयर इंडिया एक्सप्रेस क्रैश (7 अगस्त 2020)
वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से लौट रही बोइंग 737 रनवे पर फिसलकर नीचे खाई में जा गिरी। भारी वर्षा के चलते ब्रेकिंग सिस्टम गड़बड़ाने और अंतर्राष्ट्रीय मानकों से संकरे रनवे की चुनौती ने 21 यात्रियों की जान ले ली, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। - औरंगाबाद टेक-ऑफ टकराव (26 अप्रैल 1993)
औरंगाबाद एयरपोर्ट से टेक-ऑफ कर रही बोइंग 737 स्थानीय पशु झुंड से टकरा गई। इंजन में आई क्षति के चलते विमान नियंत्रण खो बैठा और रनवे पर ही लुढ़कते हुए कई इमारतों से टकरा गया, जिससे 55 लोग मारे गए और इलाके में भयावह मंजर बन गया। - अहमदाबाद ड्रीमलाइनर क्रैश (12 जून 2025)
मेघानीनगर के पास एअर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर अचानक तकनीकी विफलता के बाद भूमि पर अनियंत्रित लैंड हुआ। प्रारंभिक रिपोर्ट में सिग्नल फेलियर और एयर ट्रैफिक कंट्रोल में देरी को कारण बताया गया है। हादसे में अनुमानतः 270 यात्रियों की जान गई, जबकि एकमात्र जीवित बचने वाला युवक, विश्वास कुमार, एक दिन में ही राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में आ गया।
दुनिया के सबसे बड़े विमान हादसे
- टेनेरिफ एयरलाइन टक्कर (27 मार्च 1977)
स्पेन के कैनरी द्वीप स्थित टेनेरिफ एयरपोर्ट पर KLM और Pan Am के दोनों बोइंग 747 जंबो जेट्स की आमने-सामने टक्कर हुई। घने कोहरे में टेक्स्ट टॉवर के आदेशों में हुई ग़लतफ़हमी ने 583 लोगों की जान ले ली, जो आज तक का इतिहास में दर्ज सबसे घातक विमान हादसा है। - जापान एयरलाइंस फ्लाइट 123 (12 अगस्त 1985)
टोक्यो से ओसाका के बीच उड़ान भरने वाली बोइंग 747SR को पिछली मरम्मत में हुई चूक के कारण टेल सेक्शन में विसंयोजन का सामना करना पड़ा। टेक-ऑफ के 12 मिनट बाद नियंत्रण खोने से विमान माउंट ताकामगहारा से टकराया और 520 लोग मारे गए, केवल चार ही जीवित बचे। - एयर इंडिया फ्लाइट 182 (23 जून 1985)
टोरंटो से लंदन की ओर जा रही बोइंग 747 ने अटलांटिक महासागर में बम विस्फोट झेला, जिसे खालिस्तानी आतंकवादियों ने प्लांट किया था। 329 यात्री और क्रू के सदस्य हताहत हुए, इसने आतंकवाद और विमान सुरक्षा के बीच के अंतराल को उजागर किया। - एयर फ्रांस फ्लाइट 447 (1 जून 2009)
रियो डी जनेरियो से पेरिस जा रहा एयरबस A330 भारी तूफ़ानी परिस्थितियों में लगभग क्षणिक उपकरण फेलियर और पायलटों द्वारा गलत फैसलों की वजह से अटलांटिक महासागर में समा गया। दुर्घटना में 228 लोगों की मौत हुई और खोज-बीन महीनों चली। - सबा एयरलाइंस फ्लाइट 548 (15 अक्टूबर 2000)
फिलाडेल्फिया से लॉस एंजेलिस जा रही MD-82 टेक-ऑफ के कुछ ही सेकंड बाद वाइडबैन्ड थ्रॉटल प्रेरणा की समस्या के कारण बेकाबू होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 155 लोग मारे गए, जिसमें चालक दल और यात्री दोनों शामिल थे।
इन घटनाओं ने एविशन इंडस्ट्री को गहराई से झकझोरा। परिणामस्वरूप एटीसी कम्यूनिकेशन प्रोटोकॉल, रनवे डिज़ाइन, पायलट ट्रेनिंग और तकनीकी अवलोकन प्रणालियाँ पहले से कहीं अधिक कड़े मानकों के अधीन आ गईं। हर एक हादसे की जाँच-परख ने सुरक्षा के नए आयाम स्थापित किए, ताकि भविष्य में इस तरह के दुखद परिणामों को रोका जा सके।
Note : लेख में दी गई जानकारियाँ विभिन्न सरकारी रिपोर्ट्स और जांच आयोगों के निष्कर्षों पर आधारित हैं।
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