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कोरबा : दीपका कोयला परियोजना के विस्तार को लेकर कोरबा जिले के पाली अनुविभाग अंतर्गत ग्राम हरदीबाजार में भू-विस्थापित माटीपुत्रों का असंतोष अब तीव्र रूप लेता जा रहा है। कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल (SECL) के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में संचालित इस परियोजना के तहत वर्ष 2004 एवं 2010 में हरदीबाजार के पटवारी हल्का नंबर-15 में ग्रामीणों की निजी भूमि का अधिग्रहण किया गया था।
ग्रामीणों का आरोप है कि अधिग्रहण के दो दशक बाद भी उन्हें न तो तयशुदा मुआवजा मिला, न ही पुनर्वास की कोई ठोस व्यवस्था की गई। साथ ही, वायदे के अनुसार रोजगार भी मुहैया नहीं कराया गया। स्थानीय माटीपुत्रों का कहना है कि वर्षों से वे अपनी भूमि खोकर अन्याय सहते आ रहे हैं, जबकि कंपनी के अधिकारी पदोन्नति लेकर सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन विस्थापितों की पीड़ा जस की तस बनी रही।
मामले ने उस समय और तूल पकड़ लिया जब 15 सितंबर को प्रशासन और SECL प्रबंधन ने अपने-अपने बल के साथ हरदीबाजार पहुंचने की कोशिश की। ग्रामीणों ने एकजुट होकर इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और अधिकारियों को लौटने पर मजबूर कर दिया।
“हमारी ज़मीन ली गई, बदले में कुछ नहीं मिला। अब जब हम सवाल पूछते हैं तो महिला बाउंसर भेजे जा रहे हैं, ये अन्याय नहीं तो क्या है?” — एक स्थानीय ग्रामीण महिला की आंखों में आक्रोश साफ झलक रहा था।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया और न्यायसंगत समाधान नहीं निकाला गया, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस बढ़ते जनाक्रोश को कैसे संभालता है और क्या SECL विस्थापितों को न्याय दिलाने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा।