छत्तीसगढ़ के कलाकारों के नाम रहा चक्रधर समारोह का दूसरा दिन, कलाकारों ने बिखेरी शास्त्रीय नृत्य से लेकर लोक कलाओं की सतरंगी छटा..

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रायगढ़// अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ी कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। लोकगीत, लोकनृत्य और शास्त्रीय संगीत में दर्शकगण छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति की अनूठी छटा में सराबोर हो गए। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के नर्तक-नर्तकियों ने परंपरागत वेशभूषा में क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत कर दिया। इसके बाद लोकगायकों ने पारंपरिक गीतों की ऐसी प्रस्तुति दी कि पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। शास्त्रीय और लोक संगीत के मेल से सजी प्रस्तुतियों ने समारोह में विशेष रंग भर दिया। दर्शक देर रात तक कलाकारों की प्रस्तुति का आनंद लेते रहे और हर प्रस्तुति पर उत्साहपूर्वक तालियाँ बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया।

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चक्रधर समारोह में दूसरे दिन की प्रस्तुति में रायगढ़ की कलाकार पूजा जैन कथक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। इसी तरह समारोह की अगली कड़ी में राजनंदिनी पटनायक रायगढ़ द्वारा ओडिशी, प्रियंका सलूजा बिलासपुर द्वारा कथक, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी के सुनील मानिकपुरी द्वारा लोकगीत कर्मा गायन, डॉ. राखी रॉय भिलाई द्वारा भरतनाटयम एवं दिल्ली के पंडित उदय कुमार मल्लिक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन पर अपनी प्रस्तुति दिए।

रायगढ़ की पूजा जैन ने कथक नृत्य से बांधा समां
रायगढ़ की सुविख्यात कथक नृत्यांगना पूजा जैन और उनकी टीम ने मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत पंचदेव वंदना से हुई। इसके पश्चात उन्होंने जयपुर घराने के तोड़े-टुकड़े, लखनऊ घराने का तराना और ठुमरी प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ताल और लय की सुंदर संगति के साथ मंच पर सजीव हुई उनकी प्रस्तुतियों ने दर्शक दीर्घा में तालियों की गडग़ड़ाहट गूंजा दी। पूजा जैन के साथ मंच पर उनकी टीम की प्रतिभाशाली सदस्याएँ सौम्या साहू, पाव्या श्रीवास्तव, आसिता वर्मा और वंशिका पात्रा भी शामिल रहीं, जिन्होंने अपने सधे हुए भाव और नृत्य कौशल से प्रस्तुति को और भी प्रभावशाली बना दिया।

पूजा जैन ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी कला का परचम लहराया है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय नृत्य प्रतिभा पुरस्कार 2020, नृत्याविष्कार पुरस्कार 2020, राष्ट्रीय एकल नृत्य प्रतियोगिता 2020 में प्रथम स्थान तथा अखिल भारतीय नृत्य नाटक एवं संगीत समारोह 2020 में प्रथम स्थान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इसके अलावा भी उन्होंने अनेक प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर जिले और प्रदेश का नाम रोशन किया है। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित दर्शकों ने तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।

रायगढ़ की राजनंदिनी पटनायक ने ओडिसी नृत्य से मोहा मन
रायगढ़ की प्रतिभाशाली नृत्यांगना राजनंदिनी पटनायक ने अपनी साथी पूनम गुप्ता के साथ मिलकर ओडिसी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। दर्शकदीर्घा में बैठे श्रोताओं ने तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका अभिनंदन करते हुए उत्साहवर्धन किया। राजनंदिनी पटनायक ने मात्र तीन वर्ष की उम्र से ओडिसी नृत्य का प्रशिक्षण प्रारंभ किया। अपनी लगन और साधना के बल पर उन्होंने अनेक उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। वे वर्ष 2019-20 में सीसीआरटी स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाली छत्तीसगढ़ की पहली ओडिसी नृत्यांगना बनीं। इसके अतिरिक्त उन्हें पंडित सुंदरलाल शर्मा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। उन्होंने भिलाई स्टील प्लांट नृत्य प्रतियोगिता में कई बार प्रथम स्थान हासिल किया है। बनारस यूनिवर्सिटी वाराणसी में आयोजित कृष्ण प्रिय महोत्सव में प्रथम स्थान हासिल करने पर उन्हें स्वर्ण मयूर सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।

कथक नृत्यांगना प्रियंका सलूजा की मोहक प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
बिलासपुर से आई प्रख्यात कथक नृत्यांगना प्रियंका सलूजा ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके नृत्य की भाव-भंगिमाएँ, लय-ताल की सटीकता और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ने कार्यक्रम में उपस्थित हर व्यक्ति का मन मोह लिया। सलूजा कथक की घुंघरू पैरों में बांध लेने के बाद से नृत्य नहीं बल्कि पूजा के लिए नटराज को समर्पित करती है। कथक की भाव मुद्राओं के लिए प्रियंका में विशेष दक्षता है। उन्होंने कत्थक के माध्यम से दर्शकों के समक्ष एक मनमोहक प्रस्तुति दी। उनके द्वारा सर्वप्रथम गाइए गणपति जग वंदन गीत पर आधारित भगवान गणेश को समर्पित प्रस्तुति दी गई। प्रियंका सलूजा कथक के रायगढ़ घराने की एक सुयोग्य नृत्यांगना है। विगत 10 वर्षों से वे अपने गुरु पद्मश्री रामलाल बरेठ एवं उनके सुपुत्र भूपेंद्र बरेठ से कथक का गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से कथक नृत्य में स्नातक की उपाधि ली। उसके बाद प्रावीण्यता के साथ स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उनके प्रदर्शनों में वर्ष 2025 में नाद मंजरी कार्यक्रम बिलासपुर, प्रज्ञोत्सव, भिलाई अखिल भारतीय संस्कृति संघ पुणे तथा देश राग वर्ष 2023 प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है। सलूजा ने कथक की पारंपरिक शैली में अपने नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसमें शास्त्रीयता और नवीनता का सुंदर संगम देखने को मिला। दर्शकों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका भारी उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम में प्रियंका सलूजा की प्रस्तुति चक्रधर समारोह की गरिमा को और भी बढ़ा गई। कार्यक्रम प्रस्तुति पश्चात मौके पर महापौर नगर निगम जीवर्धन चौहान एवं सभापति डिग्री लाल साहू ने प्रियंका सलूजा एवं उनके टीम के कलाकारों को मोमेन्टो प्रदान कर सम्मानित किया।

सुनील मानिकपुरी ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
प्रदेश के लोकप्रिय लोकगायक सुनील मानिकपुरी ने अपनी सुरीली आवाज और ऊर्जावान प्रस्तुतियों से ऐसा समा बाँधा कि पूरा पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूँज उठा। मानिकपुरी ने अपने सुप्रसिद्ध गीत हमर पारा तुहर पारा…, तोरे सेवा ल मैं गांवा ओ काली महाकाली मोर दाई ओ.., गुईया रे गुईया रे…, का जादू डरे.. जैसे झारखंडी और लोकगीतों के साथ कर्मा व शैला गीतों ने समारोह के पूरे वातावरण को संगीतमय कर दिया। उनकी मधुर स्वर लहरियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के निवासी सुनील मानिकपुरी छत्तीसगढ़ के चर्चित लोकगायक हैं। वे बचपन से ही संगीत के प्रति समर्पित रहे हैं और छत्तीसगढ़ी, हिंदी, भोजपुरी एवं नागपुरी गीतों में अपनी पहचान बना चुके हैं। लोकप्रिय कर्मा गीत गायक के रूप में उनकी विशेष पहचान है। इसके अलावा वे छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं तथा खलनायक की भूमिका के लिए बेस्ट विलेन अवॉर्ड से सम्मानित भी हो चुके हैं। उनके गीत लिख दे हूं जिनगी तोर नाम…, काबर रंगे मोला माया के रंग में… सहित कई रचनाएँ श्रोताओं के बीच विशेष लोकप्रिय रही हैं।

डॉ. राखी रॉय ने अपने शिष्यों के साथ दी भरतनाट्यम की शानदार प्रस्तुति
भिलाई से आईं प्रख्यात नृत्यांगना और भरतनाट्यम डॉ. राखी रॉय ने अपने शिष्यों के साथ भरतनाट्यम की शानदार प्रस्तुति से रामलीला मैदान में मौजूद दर्शकों को भावविभोर कर दिया। उनकी प्रस्तुति में भरतनाट्यम की पारंपरिक गरिमा, गहन अभिव्यक्ति और अद्भुत लयताल का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने हर किसी के मन को छू लिया। डॉ. रॉय ने अपने नृत्य में भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गहराई को उजागर करते हुए विभिन्न भावों और मुद्राओं के माध्यम से भक्ति और रसमयता की सजीव छटा बिखेरी। उनकी प्रस्तुति में नृत्य की शुद्धता, कथ्य की संवेदनशीलता और नृत्य सौंदर्य की छाप स्पष्ट दिखाई दी। डॉ. राखी रॉय ने अपने शिष्यों के साथ भगवान शिव के नटराज के विभिन्न रूपों पर आधारित प्रस्तुति, अर्धनारीश्वर, मां जननी आदि पर आधारित आकर्षक प्रस्तुति दी। डॉ. राखी रॉय के साथ उनके शिष्य दुष्यंत साहू, पलक उपाध्याय, अम्बे उपाध्याय, सृजन बनर्जी, साध्वी अवधूत, पद्मजा मंजिल पिल्ले, शर्मिष्ठा घोष, नारायणी पांडे, ऑरेल एन जॉनसन और कुमारी बनर्जी ने मनमोहक प्रस्तुति दी।

डॉ. राखी रॉय प्रदेश की सुविख्यात भरतनाट्यम गुरु है। उन्होंने साढ़े चार वर्ष की अल्प आयु से ही भिलाई में अपने गुरु केशवन पिल्लई से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लेना प्रारंभ कर दिया था। वर्ष 1993 में विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉ.राखी रॉय ने वर्ष 2002 में भरतनाट्यम नृत्य विधा में विशारद की उपाधि प्राप्त की। भिलाई में कई शाखाओं के साथ-साथ दुर्ग और रायपुर में भी गुरु राखी रॉय के नृत्य प्रशिक्षण केंद्र संचालित है। डॉ.राखी रॉय देश-विदेश में अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर अपने भारतनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी है। उन्हें विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें नृत्य भूषण, नृत्य विभूषण, नृत्य कला रत्न, आचार्य श्रेष्ठ, नाट्याचार्य आदि प्रमुख है। डॉ. राखी रॉय का नृत्य केवल देखने का आनंद ही नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का गहन अनुभव भी प्रदर्शित करती है। इस मौके पर उपस्थित कला-प्रेमियों और अतिथियों ने उनकी प्रस्तुति की सराहना करते हुए इसे चक्रधर समारोह का अविस्मरणीय पल बताया। समारोह में उपस्थित दर्शकों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका उत्साहवर्धन किया। दर्शकों ने इस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रदर्शन का भरपूर आनंद लिया।

पंडित उदय कुमार मल्लिक की शास्त्रीय गायन प्रस्तुति से गूंजा चक्रधर समारोह
चक्रधर समारोह की अंतिम कड़ी में दिल्ली से पधारे प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित उदय कुमार मल्लिक ने अपनी विलक्षण प्रस्तुति से दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। दरभंगा घराने की गौरवशाली परंपरा से जुड़े पंडित मल्लिक ने अपने दादा और पिता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की है। वे भारत ही नहीं बल्कि अनेक देशों में अपनी अद्वितीय प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर चुके हैं। समारोह के मंच से उन्होंने धु्रपद गायन की विविध शैली प्रस्तुत कर शास्त्रीय संगीत का अनुपम रस बिखेरा। उनकी गूंजती, मधुर और भावपूर्ण तान ने न केवल संगीत प्रेमियों को आनंदित किया, बल्कि पूरे समारोह को एक कलात्मक वातावरण से आलोकित कर दिया। श्रोतागण द्वारा तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका अभिनंदन किया गया और देर रात तक समारोह स्थल संगीत की मधुर ध्वनियों से गूंजता रहा। कार्यक्रम समाप्ति पश्चात राज्यसभा सांसद देवेन्द्र प्रताप सिंह ने पंडित उदय कुमार मल्लिक और उनके टीम को सम्मानित किया।

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