500 करोड़ के स्मार्ट सिटी घोटाले में खुद को तांत्रिक बताने वाला कारोबारी केके गिरफ्तार, भूपेश बघेल के करीबी से जुड़ी है पूरी कहानी..

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रायपुर// छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक बार फिर एक बड़ा राजनीतिक और कारोबारी घोटाला सामने आया है। खुद को तांत्रिक और सत्ता से नजदीकी बताने वाला कारोबारी केके श्रीवास्तव आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने उसे भोपाल के एक होटल से गिरफ्तार किया है। उस पर दिल्ली की एक कंपनी से 15 करोड़ की ठगी करने और 500 करोड़ का ठेका दिलाने का झांसा देने का आरोप है।

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10 महीने से फरार था केके

केके श्रीवास्तव और उसका बेटा कंचन श्रीवास्तव पिछले 10 महीने से फरार थे। रायपुर के तेलीबांधा थाने में इनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज है। दोनों की जमानत याचिकाएं जिला और हाईकोर्ट से पहले ही खारिज हो चुकी थीं। रायपुर पुलिस ने इन दोनों को भगोड़ा घोषित कर इनाम भी रखा था।

आध्यात्मिक गुरु के जरिए मिला कारोबारी से संपर्क

यह मामला तब शुरू हुआ जब दिल्ली की रावत एसोसिएट्स कंपनी के मालिक अर्जुन रावत की मुलाकात आध्यात्मिक गुरु प्रमोद कृष्णन के जरिए केके श्रीवास्तव से हुई। केके ने दावा किया कि उसके राजनीतिक गलियारों में गहरे संबंध हैं और वह 500 करोड़ रुपये का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट दिला सकता है।

झांसे में आकर दिए 15 करोड़

केके ने रावत को एक प्रभावशाली नेता से मिलवाया, जिससे उसका भरोसा और मजबूत हुआ। इसके बाद रावत ने करीब 15 करोड़ रुपये केके के बताए गए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए। लेकिन न तो कोई ठेका मिला और न ही पैसे वापस आए।

बाउंस हुआ चेक, मामला पहुंचा थाने

जब रावत ने पैसे मांगे तो केके ने एक चेक दिया, जो बाउंस हो गया। इसके बाद रावत ने तेलीबांधा थाने में एफआईआर दर्ज कराई। मामला दर्ज होते ही केके और उसका बेटा लापता हो गए।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से करोड़ों के लेन-देन का खुलासा

जांच में ये भी सामने आया है कि केके ने जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले लोगों के खातों में करोड़ों रुपये का ट्रांजैक्शन किया। यह मनी लॉन्ड्रिंग का नया तरीका माना जा रहा है।

ईडी कर रही है जांच, और भी बड़े नाम आ सकते हैं सामने

इस घोटाले की गूंज इतनी बड़ी है कि जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी सौंप दी गई है। पुलिस फिलहाल केके श्रीवास्तव से पूछताछ कर रही है और अंदेशा है कि इस केस में कई बड़े राजनीतिक और कारोबारी नाम उजागर हो सकते हैं।


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