तेंदूपत्ता बोनस घोटाला: 7 करोड़ की हेराफेरी में एक और गिरफ्तारी, अब तक 12 आरोपी पहुंचे जेल, मास्टरमाइंड DFO की भूमिका उजागर..

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रायपुर// छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से एक बड़े आर्थिक अपराध का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि (बोनस) में भारी गड़बड़ी सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने इस घोटाले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, वहीं ताजा कार्रवाई में फुलबगड़ी प्राथमिक लघुवनोपज सहकारी समिति के प्रबंधक राजशेखर पुराणिक को भी गिरफ्तार किया गया है।

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7 करोड़ का गबन, गरीबों के हक पर डाका

वर्ष 2021-22 में तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले श्रमिकों को सरकार की ओर से करोड़ों रुपये की बोनस राशि दी जानी थी। लेकिन जांच में सामने आया कि लगभग 7 करोड़ रुपए की राशि संग्राहकों तक पहुंचने की बजाय भ्रष्ट अधिकारियों और समिति प्रबंधकों की जेब में चली गई।

राजशेखर पुराणिक पर आरोप है कि उसने फर्जी भुगतान रजिस्टर तैयार कर, संग्राहकों के नाम पर फर्जी भुगतान दर्शाया और वह रकम निकालकर निजी उपयोग में लाया। यह एक सुनियोजित ठगी थी, जिसमें नीचे से लेकर ऊपर तक कई लोग शामिल थे।

मास्टरमाइंड बना तत्कालीन DFO

इस पूरे घोटाले में सबसे अहम भूमिका तत्कालीन डीएफओ अशोक कुमार पटेल की बताई जा रही है। जांच में खुलासा हुआ है कि पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग कर, अधीनस्थ अधिकारियों और सहकारी समितियों के प्रबंधकों के साथ मिलकर इस हेराफेरी की योजना बनाई।

वनविभाग के अंदर बैठे कुछ अधिकारियों ने ईमानदारी और आदिवासी हितों के नाम पर जमकर मलाई काटी। इससे साफ है कि यह घोटाला कोई आकस्मिक चूक नहीं, बल्कि एक पूर्वनियोजित साजिश थी।

अब तक गिरफ्तार ये लोग

ईओडब्ल्यू ने जिन 12 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें प्रमुख नाम हैं:

  • तत्कालीन DFO अशोक कुमार पटेल
  • उप वनक्षेत्रपाल चैतूराम बघेल
  • वनरक्षक मनीष कुमार बारसे
  • सहकारी समिति से जुड़े देवनाथ भारद्वाज, पोड़ियामी हिडमा, मनोज कवासी, सुनील नुप्पो, रवि कुमार गुप्ता, आयतू कोरसा
  • और अब राजशेखर पुराणिक

जांच एजेंसी का कहना है कि मामले में कई और संदिग्धों की पहचान की जा चुकी है, जिन पर जल्द कार्रवाई होगी।

आदिवासी समुदाय के साथ विश्वासघात

तेंदूपत्ता छत्तीसगढ़ के जंगलों में रहने वाले लाखों आदिवासियों की मुख्य आजीविका है। हर साल तेंदूपत्ता संग्रहण के बाद उन्हें बोनस के रूप में बड़ी रकम दी जाती है, जो उनके परिवार की आर्थिक रीढ़ होती है। ऐसे में इस तरह का घोटाला केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक शोषण और विश्वासघात भी है। राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि इस मामले में कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। जांच की निगरानी उच्च स्तर पर की जा रही है और स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि आदिवासी संग्राहकों के हक पर डाका डालने वालों को कानूनी सजा दिलाई जाए।

क्या है तेंदूपत्ता बोनस?

सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनकी मेहनत का अतिरिक्त पारिश्रमिक देती है जिसे “प्रोत्साहन बोनस” कहा जाता है। यह हर साल उनके बैंक खातों में भेजा जाता है, ताकि वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें। लेकिन जब इस रकम से ही घोटालेबाजों ने हेराफेरी की, तो यह मामला बेहद संवेदनशील और गंभीर बन गया।फिलहाल EOW की जांच जारी है और यह घोटाला कितना गहरा है, इसकी परतें अब धीरे-धीरे खुल रही हैं। आने वाले दिनों में और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।


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