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सारंगढ़-बिलाईगढ़// बरसात के मौसम को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर एक साथ तीन माह—जून, जुलाई और अगस्त—का चावल वितरण शुरू किया है, लेकिन यह राहत लोगों के लिए परेशानी बन गई है। हितग्राहियों को अपने हिस्से का राशन पाने के लिए सुबह 4 बजे से लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है।
लाइन में रात से इंतजार, फिर भी चावल नहीं
बरमकेला के ग्राम साल्हेओना में स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर बनी हुई है। हितग्राही रवि सागर बताते हैं, “चावल के लिए रात 4 बजे से लाइन में लगना पड़ा। यहां सर्वर की भी समस्या है जिससे वितरण में देरी हो रही है।” यही नहीं, 60 वर्षीय पूना झारा अंगूठे का फिंगरप्रिंट फेल होने और मोबाइल न होने के कारण चावल लिए बिना वापस लौट गई। दादरपाली के साहेब राम पटेल भी आधार से मोबाइल नंबर लिंक न होने के चलते तीन दिन से दुकान के चक्कर काट रहे हैं।
एक कार्ड, 6 OTP — नहीं आया तो चावल नहीं
नई व्यवस्था के तहत अब चावल वितरण के लिए एक कार्डधारी को मोबाइल पर 6 OTP आने का इंतजार करना पड़ता है। सामान्य कार्ड धारियों को 3 बार, अंत्योदय कार्ड वालों को 4 बार और बीपीएल कार्डधारियों को 6 बार अलग-अलग ओटीपी आने के बाद ही चावल मिल रहा है। अगर नंबर आधार से लिंक नहीं है, तो हितग्राही को लोक सेवा केंद्र जाकर पहले लिंक कराना पड़ रहा है।
हितग्राही रामरतन चौहान कहते हैं, “तीन माह का चावल लेने के लिए 6-7 बार अंगूठा देना पड़ रहा है। इससे आधे घंटे से ज्यादा वक्त लग रहा है। पहले एक ही बार में पूरा राशन मिल जाता था। प्रशासन को फिर वैसी ही व्यवस्था लागू करनी चाहिए।”

दुकानदारों के पास भी समस्या कम नहीं
बरमकेला क्षेत्र की राशन दुकानों का संचालन महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन पीओएस मशीन एक दिन में सिर्फ 25 से 30 हितग्राहियों की ही पहचान कर पा रही है। इसके बाद मशीन बंद हो जाती है। ऐसे में दुकानदार 25 राशनकार्ड एक दिन लेकर वितरण कर रहे हैं, बाकी को अगले दिन बुलाया जा रहा है।
ई-पॉश मशीन में अधिक ट्रांजैक्शन के चलते पेपर रोल भी तेजी से खत्म हो रहे हैं। एक रोल में मात्र 15 हितग्राहियों की पर्ची निकल रही है, लेकिन विभाग की ओर से मांग के मुताबिक पेपर रोल नहीं दिया जा रहा। दुकानदारों को मजबूरन खुद पैसे खर्च कर रोल खरीदना पड़ रहा है।
नियमों में बदलाव बना परेशानी की जड़
इस बार वितरण प्रक्रिया को और सख्त किया गया है। पहले अंगूठा लगाते ही चावल मिल जाता था, लेकिन अब OTP के बिना चावल नहीं दिया जा रहा। PDS दुकान संघ की ओर से इस समस्या को खाद्य मंत्री तक पहुंचाया जा चुका है, फिर भी कोई सुधार नहीं हो सका है।
सरकार की तीन महीने का चावल एक साथ देने की मंशा तो हितग्राहियों को राहत देने की थी, लेकिन व्यवस्थागत खामियों और तकनीकी परेशानियों ने इसे एक बड़ी मुश्किल में बदल दिया है। जरूरत है कि सिस्टम को सुधारा जाए और फिर से सरल बनाया जाए, ताकि लोगों को उनका हक समय पर, सम्मान से मिल सके।
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