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राजनांदगांव// शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और साइबर सुरक्षा पर उस वक्त सवाल खड़े हो गए जब जिले के कई आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में अचानक आपत्तिजनक अश्लील वीडियो प्रसारित होने लगे। इस घटना ने विभाग में अफरा-तफरी मचा दी, खासतौर पर इसलिए क्योंकि इन ग्रुपों में कई महिला शिक्षक भी सदस्य थीं।
जानकारी के अनुसार, जिला शिक्षा विभाग के अधीन लगभग 20 से 30 व्हाट्सएप ग्रुप संचालित होते हैं, जिनमें संकुल समन्वयक, प्राचार्य, और शिक्षक जुड़े रहते हैं। इन्हीं में से कुछ ग्रुपों में आपत्तिजनक वीडियो भेजे गए, जिससे महिला शिक्षकों ने गहरी नाराजगी जताई और इसकी औपचारिक शिकायत नजदीकी थाने में दर्ज कराई।
डीईओ ने लिया तत्काल संज्ञान, 5 शिक्षकों को नोटिस
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी पी.एस. बघेल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन पांच शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिनके मोबाइल नंबर से वीडियो प्रसारित हुए थे। नोटिस में उनसे सात दिन के भीतर यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि उनके नंबर से यह आपत्तिजनक सामग्री कैसे भेजी गई।
इस मामले पर डीईओ बघेल ने अपने बयान में कहा कि यह घटना बेहद गंभीर है। हमने तुरंत जांच प्रारंभ कर दी है और संबंधित शिक्षकों को नोटिस भेजा गया है। साथ ही, सभी शिक्षकों को साइबर सतर्कता बरतने और किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करने की सलाह दी गई है।
APK फाइल के जरिए व्हाट्सएप हैकिंग की आशंका
प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कुछ शिक्षकों के मोबाइल फोन पर एक संदिग्ध APK फाइल भेजी गई थी। इस फाइल पर क्लिक करते ही उनके व्हाट्सएप अकाउंट कथित रूप से हैक हो गए, जिसके बाद उनके नंबर से ग्रुप में अश्लील वीडियो पोस्ट किए गए।
इस संबंध में पीड़ित शिक्षकों ने साइबर क्राइम थाना में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि यह हैकिंग किसी एक हैकर द्वारा की गई या किसी संगठित गिरोह का काम है।
सख्त सतर्कता और अनुशासन के निर्देश
घटना के बाद शिक्षा विभाग ने जिले के सभी शिक्षकों और स्कूलों को एडवाइजरी जारी की है, जिसमें किसी भी अनजान लिंक, वीडियो या फाइल पर क्लिक न करने की सख्त हिदायत दी गई है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह मामला प्रथम दृष्टया साइबर अपराध का प्रतीत होता है और दोषियों की पहचान होते ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अनुशासन और डिजिटल व्यवहार पर सवाल
यह घटना केवल साइबर सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह शिक्षा विभाग के डिजिटल अनुशासन और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है। शिक्षक वर्ग, जो समाज का मार्गदर्शक माना जाता है, ऐसे मामलों में संलिप्त (चाहे सीधे हों या तकनीकी रूप से फंसाए गए हों) होने से उनकी गरिमा पर आंच आती है। फिलहाल पुलिस और शिक्षा विभाग दोनों स्तरों पर मामले की जांच जारी है। विभाग द्वारा आगामी दिनों में साइबर जागरूकता सत्र आयोजित किए जाने की संभावना भी जताई जा रही है।