Mahadev Betting App : सट्टा किंग सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी के बाद अब विदेशी नंबरों से चल रहा ऑनलाइन सट्टेबाजी का खेल..

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रायपुर// दुबई में महादेव बुक सट्टा एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर की भले ही गिरफ्तारी हो गई हो, लेकिन उसका काला कारोबार अब भी बेधड़क देश-विदेश में चल रहा है। शातिर सट्टेबाजों ने पुलिस व जांच एजेंसी की नजरों से बचने अब विदेशी नंबरों से सट्टेबाजी का खेल संचालित करना शुरू किया है, ताकि आसानी से उनकी पहचान न हो पाए। महादेव बुक का हेल्पलाइन नंबर भी अब विदेशी हो गया है। एक सूत्र का दावा है कि एप की ऑनलाइन आईडी अब पैनल ऑपरेटरों को लोटस 365 से दी जा रही है। इसमें विदेशी नंबरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, हालांकि लोटस 365 महादेव बुक से जुड़ा हुआ है, लेकिन दिखावे के तौर पर इसके प्रमोटर जरूर अलग है।

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महादेव बुक के एजेंट रायपुर, दुर्ग-भिलाई के अलावा बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, राजनांदगांव, कवर्धा समेत अन्य जिलों में अभी भी काम कर रहे। महाराष्ट्र, दिल्ली में बैठे पैनल ऑपरेटर ही इन एजेंटों को दो से पांच लाख रुपये में विदेशी नंबरों से ऑनलाइन आईडी देने का काम कर रहे है।

वाटसएप पर दी जा रही आईडी

जानकार सूत्रों ने बताया कि बेटिंग एप से जुड़े शातिर सट्टेबाज वॉट्सएप के लिए अब विदेशी नंबर से एजेंटों से संपर्क कर इसी से लोटस 365 की आईडी बांटने का काम कर रहे है। ईडी की जांच में भी इसका राजफाश हो चुका है। महादेव बुक से जुड़े एजेंट रायपुर ही नहीं प्रदेशभर में सक्रिय है। गौरतलब है कि महादेवबुक के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर की यूएई में गिरफ्तारी और पार्टनर रवि उप्पल को नजरबंद करने के बाद शुभम सोनी की भी तलाश की जा रही है। तीनों के खिलाफ ईडी और ईओडब्ल्यू में अपराध दर्ज है, जबकि दर्जनभर से अधिक आरोपी रायपुर जेल में बंद है।

महादेव बुक समेत कई अन्य ऑनलाइन बेटिंग एप्स और साइबर ठगी में अपराधी विदेशी नम्बरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए टेलीकॉम कंपनियों और केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा। अगर टेलिकॉम कंपनियां सख्ती से इन विदेशी नंबरों को ब्लॉक कर दे तो ऑनलाइन सट्टेबाजी और साइबर ठगी काफी हद तक रूक सकती है।  संतोष सिंह, एसएसपी रायपुर

पुराने एजेंट बांट रहे पैनल

पुलिस अफसरों ने बताया कि पुख्ता जानकारी मिली है कि लोटस 365 से जुड़े सटोरिए महादेव सट़्टा एप के पुराने एजेंटों के जरिए भी आईडी बांट रहे है, हालांकि रायपुर, दुर्ग के रहने वाले ज्यादातर बड़े पैनल ऑपरेटर पुलिस की गिरफ्त से बचने आसपास के राज्यों में बैठकर यह काम कर रहे है, क्योंकि पहले ये पकड़े जा चुके है।

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