अक्टूबर में बारिश ने तोड़ा 9 साल का रिकॉर्ड, दुर्ग में 8 दिनों से झमाझम बरसात, अगले दो दिनों तक रहेंगे यही हालात..

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दुर्ग// दुर्ग जिले में पिछले 8 दिनों से लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही है। हर दिन एक से डेढ़ घंटे तक इतनी बारिश हो रही है कि शहर में कई जगह जल भराव की स्थिति हो गई है। लोगों का अनुमान था कि अक्टूबर माह से मानसूम थम जाएगा, लेकिन मौसम विभाग ने 14 अक्टूबर तक बारिश के साथ उत्तर छत्तीसगढ़ में सरगुजा संभाग और दक्षिण छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में बिजली गिरने की आशंका जताई है।

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मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक अक्टूबर माह में होने वाली बारिश ने पिछले 9 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दुर्ग जिले की बात करें तो यहां 5 से 11 अक्टूबर के बीच 60.7 मिमी बारिश हुई है। पिछले 7 दिन में इतनी बारिश हुई है कि अक्टूबर महीने में पिछले 9 साल में कभी नहीं हुई। साल 2013 में 106.7 मिमी बारिश हुई थी। मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में अधिक मात्रा में नमी और कई जगह साइक्लोन बनने के चलते बारिश हो रही है। यह बारिश खंड वर्षा के रूप में हो रही है। दुर्ग जिले में ही बुधवार सुबह से भिलाई के कुछ भागों में एक से दो घंटे तक तेज बारिश हुई।

सुबह से छाई हुई है बदली हो सकती है बारिश

भिलाई के मौसम की बात करें तो सुबह से ही यहां बदली छाई हुई है। सुबह 6-8 बजे तक दो घंटे तक तेज बारिश के बाद मौसम साफ हो गया, लेकिन धूप नहीं निकली। ठंडी हवा के साथ ही बदली छाई हुई है। रायपुर के मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा का कहना है कि दुर्ग सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों में 14 अक्टूबर तक बारिश होने की संभावना है। इसके बाद ही तय हो पाएगा कि मानसून की क्या स्थिति होगी। हालांकि उन्होंने संभावना जताई है कि दीपावली से पहले मानसून खत्म हो जाएगा।

तापमान में उतार-चढ़ाव से बीमारी की आशंका

पिछले 8 दिनों लगातार बारिश होने के साथ-साथ तापमान में भी बड़ा उतार हो रहा है। सुबह शाम बदली के साथ दोपहर में तेज धूप हो रही है। इस तरह एक ही दिन में 5-6 डिग्री सेल्सियस का उतार चढ़ाव तापमान में देखने को मिल रहा है। सुपेला अस्पताल के चिकित्साधिकारी डॉ. पीयम सिंह का कहना है कि इस तरह तापमान में तेजी से उतार चढ़ाव होने से मौसमी बीमारी तेजी से फैलती हैं। लगातार बारिश होते रहने से सब्जियों की खेती को काफी नुकसान पहुंचा है। उद्यानिकी अधिकारियों का कहना है कि सब्जियों की खेती में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। उसके लिए सुस्क और नमीदार मिट्टी की जरूरत होती है। लगातार बारिश होने से फसलें खराब हो रही है। वहीं धान की फसल को अभी कोई नुकसान नहीं बताया जा रहा है।

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