गणेश चतुर्थी विशेष : 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित गणेशजी की एकदंतीय प्रतिमा, यहां भगवान परशुराम से हुआ था युद्ध, पढ़ें ढोलकर मंदिर की रोचक कथा..

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जगदलपुर// देशभर में आज गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। गणेशोत्सव के लिए पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की मूर्तियों की स्थापना की जा चुकी है। इस मौके पर आज हम बताएंगे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित गणेश जी की अद्भुत प्रतिमा के बारे में। कहते हैं कि इस जगह पर कभी भगवान परशुराम और गणेशजी के बीच युद्ध हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध में भगवान गणेश जी का एक दांत टूट गया था। इसकी वजह से ही गजानन एकदंत कहलाए।

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3000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है प्रतिमा

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित भगवान गणेशजी का यह मंदिर बैलाडिला की ढोलकल पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर की ऊंचाई समुद्र तल से 3000 फीट है। प्रतिमा ढोलक के आकार के होने के कारण इसे ढोलकल गणेश के नाम से भी जाना जाता है। इसी कारण से इस पहाड़ी का नाम भी ढोलकल पड़ा।

11वीं सदी का में हुई थी स्थापना

यहां ऊंची चट्टान पर खुले में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है। छत की कोई व्यवस्था नहीं है। पत्थरों से दीवार बनाई गई है। प्रतिमा के पीछे गहरी खाई है। छिंदक नागवंशी राजाओं ने 11वीं शताब्दी में पहाड़ी के शिखर पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कराई थी। इस मंदिर तक पहुंचना अत्यंत दुर्लभ है। दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी ढोलकल की महिला पुजारी को मानते हैं। यहां 12 महीने पूजा की जाती है और फरवरी में मेला लगता है।

ढोलकर मंदिर की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस पहाड़ी के शिखर पर भगवान गणेश और परशुराम जी में युद्ध हुआ था। युद्ध में भगवान परशुराम के फरसे से गणेशजी का एक दांत टूट गया। इस वजह से गणपति बप्पा एकदंत कहलाए। परशुराम जी के फरसे से गणेशजी का दांत टूटा। इसी कारण पहाड़ी के तलहटी पर बसे गांव का नाम फरसपाल पड़ा।

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