दोस्ती या दुश्मनी? पति ने रची खौफनाक साजिश, पत्नी को पहले कुचला फिर रॉड से मार डाला! अब हुआ गिरफ्तार..

शेयर करें...

बालोद// मोहला विकासखंड की महिला शिक्षिका की दो महीने पहले हुई “दुर्घटना” अब एक खौफनाक हत्या की कहानी बन गई है। 22 मार्च को शेरपार हायर सेकंडरी स्कूल में पदस्थ शिक्षिका बरखा वासनिक की मौत को अब तक एक सड़क हादसा माना जा रहा था, लेकिन पुलिस की जांच में जो सच सामने आया है, उसने सबको चौंका दिया है।

Join WhatsApp Group Click Here

एक्सीडेंट नहीं, थी साजिश!

बरखा की मौत के बाद परिवार को कुछ शक हुआ। उन्होंने पुलिस से जांच की मांग की। जब पुलिस ने तहकीकात शुरू की तो धीरे-धीरे परतें खुलती गईं और सामने आया एक बेहद खौफनाक प्लान।

दरअसल, बरखा का अपने पति शिशपाल से लंबे समय से झगड़ा चल रहा था। दोनों के रिश्ते में इतनी खटास थी कि बरखा अपने मायके दुर्ग में रहने लगी थी। लेकिन ये बात शिशपाल को मंजूर नहीं थी। उसने अपनी ही पत्नी को खत्म करने की योजना बना डाली।

कुचलने के बाद भी बची थी सांस…

पुलिस जांच में पता चला कि शिशपाल ने बरखा की रोज की स्कूल से घर वापसी की टाइमिंग ट्रैक की। फिर 22 मार्च को उसने सुनसान रास्ते पर पहले अपनी बोलेरो गाड़ी से बरखा को टक्कर मारी। लेकिन हादसे में बरखा की मौत नहीं हुई थी, वह घायल हालत में सांसें ले रही थी।

यहीं शिशपाल का हैवानियत भरा चेहरा सामने आया – वह गाड़ी से उतरा और पास रखे रॉड से बेरहमी से बरखा को पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद इसे एक सड़क हादसे का रूप देने की कोशिश की गई।

गिरफ्तार हुआ पति और उसका साथी

इस हत्याकांड में शिशपाल अकेला नहीं था। उसके साथ एक और शख्स था, जिसे अब पुलिस ने शिशपाल समेत गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक, पूरी घटना की साजिश पहले से रची गई थी।

मासूम पर टूटा दुखों का पहाड़

इस हादसे से सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है बरखा की चार साल की मासूम बेटी, जो अपनी मां के साथ रहती थी। अब वह अपनी जिंदगी की सबसे कठिन गणना में उलझी रहेगी—किसे दोष दे, अपनी मां को या अपने पिता को?

क्या कहती है पुलिस?

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पति की भूमिका पर शुरुआत से ही शक था। तकनीकी सबूत, मोबाइल लोकेशन और पूछताछ के बाद साफ हो गया कि ये हादसा नहीं, सुनियोजित हत्या थी।

एक मासूम की दुनिया उजड़ गई और एक इंसान ने रिश्तों की सारी हदें पार कर दीं। इस कहानी ने फिर साबित कर दिया कि सबसे बड़ा धोखा अक्सर अपनों से ही मिलता है।

Scroll to Top