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बलरामपुर// आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में फर्जी अंकसूची का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल करने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। पुलिस ने जांच के बाद इस घोटाले से जुड़े चार और आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इनमें 102 एंबुलेंस का चालक, एक स्कूल संचालक, उसका पुत्र और एक अन्य युवक शामिल है।
थाना शंकरगढ़ पुलिस की इस कार्रवाई के बाद अब तक इस मामले में कुल आठ आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस ने बताया कि फर्जी अंकसूची जारी करने वाले स्कूल के संचालक, अंकसूची पर हस्ताक्षर करने वाले युवक, अंकसूची बनवाने वाले चालक और उसके सहयोगी सहित आंगनबाड़ी की चार सहायिकाएं पहले ही हिरासत में ली जा चुकी हैं।
शिकायत और जांच से खुला मामला
पूरा मामला तब उजागर हुआ जब प्रभारी परियोजना अधिकारी, एकीकृत बाल विकास परियोजना कुसमी ने कलेक्टर बलरामपुर को लिखित शिकायत दी। शिकायत के आधार पर कलेक्टर ने एक जांच समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि कई अभ्यर्थियों ने आठवीं कक्षा की फर्जी अंकसूची तैयार करवाकर आंगनबाड़ी सहायिका की भर्ती प्रक्रिया में चयन पाया।
रिपोर्ट सामने आने के बाद शंकरगढ़ थाना पुलिस ने गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की। थाना शंकरगढ़ पुलिस के मुताबिक, इस मामले में अपराध क्रमांक-115/2025 दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(2), 318(4), 338, 336(3), 340(2) और 61(2) के तहत प्रकरण कायम किया है।
गिरफ्तार आंगनबाड़ी सहायिकाओं में अरमाना पति शमशेर आलम (29 वर्ष, निवासी जार्गिम), रिजवाना पति अमरुद्दीन (33 वर्ष, निवासी महुआडीह), प्रियंका यादव पति आशीष यादव (27 वर्ष, निवासी कोठली), सुशीला सिंह पति उमाशंकर सिंह (26 वर्ष, निवासी बेलकोना) शामिल हैं। ये सभी शंकरगढ़ क्षेत्र की रहने वाली हैं और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चयनित हुई थीं।
पुलिस की अगली कार्यवाही
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकरण में और भी नाम सामने आ सकते हैं। जांच टीम दस्तावेजों और अंकसूची तैयार कराने की पूरी प्रक्रिया की तहकीकात कर रही है। आरोप है कि स्कूल संचालक और उसके बेटे ने पैसे लेकर फर्जी अंकसूची तैयार की और एंबुलेंस चालक सहित अन्य सहयोगियों की मदद से इन अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में पास करवा दिया।
कलेक्टर बलरामपुर ने कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए पुलिस और प्रशासन दोनों स्तर पर ठोस कार्रवाई की जा रही है।
इस मामले ने भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीण अंचलों में आंगनबाड़ी जैसी योजनाएं सीधे आमजन से जुड़ी होती हैं, ऐसे में फर्जी तरीके से चयनित सहायिकाओं का मामला सामने आना शासन-प्रशासन की बड़ी चुनौती बन गया है।