सावन सोमवार पर भक्तों की उमड़ती भीड़: पुजेरीपाली स्थित विश्वकर्मा निर्मित केवटिन देउल शिव मंदिर की मान्यता और विशेषताएं..

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सारंगढ़-बिलाईगढ़// सावन का महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है और खासकर सावन सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना से विशेष फल मिलता है। बरमकेला विकासखंड के पुजेरीपाली गांव में स्थित केवटिन देउल शिव मंदिर इस अवसर पर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बन जाता है।

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बता दें कि यह मंदिर सरिया से लगे हुए गाँव पुजेरीपाली मे सरिया- चन्द्रपुर मुख्य मार्ग पर स्थित है, जिसकी दूरी सरिया से लगभग 1 किलोमीटर, बरमकेला से 17 किलोमीटर और चन्द्रपुर से 20 किलोमीटर है। मान्यताओ के अनुसार यह मंदिर सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि अपने ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के लिए भी जाना जाता है। मान्यता है कि यह छठवीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर है और इसका निर्माण स्वयं शिल्प शिरोमणि भगवान विश्वकर्मा ने किया था।

जनश्रुति और मान्यता

पीढ़ियों से चली आ रही जनश्रुति के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में होना था। लेकिन एक केवट जाति की महिला, जो ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ढेंकी से काम करने लगी, उसकी आवाज सुनकर निर्माण कार्य अधूरा रह गया। विश्वकर्मा देव ने मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में छोड़ दिया, जिससे आज तक यह मंदिर अधूरे कलश और स्तंभों के साथ खड़ा है। इसी कारण इसका नाम केवटिन देउल शिव मंदिर पड़ा।

पाताल से जुड़ा शिवलिंग

यहाँ स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं और मान्यता है कि यह शिवलिंग पाताल से जुड़ा है। भक्त जब जलाभिषेक करते हैं, तो पानी भरने का प्रयास करते हैं, लेकिन आज तक कोई भी जल भराव नहीं कर पाया। मंदिर के पुजारी अभिमन्यु जी भी इस रहस्य को मानते और बताते हैं।

मंदिर की वास्तुकला

  • मंदिर पूर्वाभिमुख है और इसमें चौकोर गर्भगृह, अंतराल और एक आधुनिक मुख-मंडप है।
  • पूरा ढांचा मुख्य रूप से ईंटों से निर्मित है।
  • इसका शिखर लैटिना नागर शैली में निर्मित है और इसमें छह भूमियाँ (स्तर) हैं।
  • मंदिर की दीवारों पर पत्तों, चंद्रशालाओं और आयताकार उभारों की सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।
  • इसकी बनावट में पंच-रथ पैटर्न, कुंभ, कलश और अन्य पारंपरिक शिल्प डिजाइनों का अद्भुत मिश्रण है।

धार्मिक महत्ता

सावन सोमवार को यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में जलाभिषेक और विशेष पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है। सावन के इन पावन दिनों में यहाँ लंबी कतारों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और माहौल पूरी तरह शिवमय हो जाता है। यह मंदिर न सिर्फ स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है, बल्कि देश-विदेश से पर्यटक और शोधकर्ता भी इसकी ऐतिहासिकता और स्थापत्य कला को देखने के लिए आते हैं। अगर आप भी इस सावन महीने में शिवभक्ति का पुण्य लाभ लेना चाहते हैं, तो पुजेरीपाली स्थित केवटिन देउल शिव मंदिर जरूर जाएं। यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा, रहस्य और भक्तिभाव मन को गहराई से स्पर्श करते हैं।


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