पंचधार में चौहान समाज ने धूमधाम से मनाया आंवला चतुर्दशी पर्व, प्रकृति की पूजा और एकता का उत्सव बना आयोजन..

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सारंगढ़-बिलाईगढ़// लोकपर्व आंवला चतुर्दशी मंगलवार को पूरे प्रदेश सहित सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इसी क्रम में सरिया तहसील के पंचधार गांव में भी चौहान समाज ने इस पारंपरिक पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास और धार्मिक भावना के साथ मनाया। आयोजन गंधर्व कला सांस्कृतिक विकास समिति के तत्वावधान में ऐतिहासिक स्वयंभू शिव मंदिर प्रांगण, पुजेरीपाली में हुआ।

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आंवला चतुर्दशी, जिसे कई जगह आंवला नवमी के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति आभार का पर्व माना जाता है। इस दिन लोग आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं और इसे भगवान विष्णु का रूप मानकर जल, दीप और प्रसाद अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि आंवले का वृक्ष सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है।

पंचधार में हुए इस आयोजन में चौहान समाज के महिलाओं और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में पूजा-अर्चना की और सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन किए। समाज के लोगों ने इस पर्व को अपनी एकता और संस्कृति की पहचान बताया।

आयोजन को सफल बनाने में अभय, जान, शक्ति, अमित, अशोक, मनोज, प्रमोद, रंजीत, सूरज, टुकु, मोहन, यशवंत, लक्ष्मण, दुर्जन, डब्बू, राहुल, रोशन, ज्वाला, गुरूदेव, राजू, अजय सहित चौहान समाज के युवा और वरिष्ठ सदस्यों ने पूरी निष्ठा और समर्पण से योगदान दिया।

कार्यक्रम के अंत में सभी ने सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण किया और प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया। पंचधार में मनाया गया यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि सामुदायिक एकजुटता और पर्यावरण प्रेम का सुंदर उदाहरण भी पेश किया।

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