कोर्ट ने 50% आरक्षण की सीमा लगाकर विशेष परिस्थियों में भी दी छूट, छत्तीसगढ़ की भौगोलिक-सामाजिक परिस्थिति अलग – सीएम भूपेश..

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रायपुर// छत्तीसगढ़ में आरक्षण की सीमा 76% हो जाने के विरोध को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्टैंड साफ कर दिया है। उन्होंने सोमवार को कहा, छत्तीसगढ़ की विशेष भौगोलिक-सामाजिक परिस्थितियों की वजह से आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई है। इसकी छूट कोर्ट ने भी अपने आदेश में दे रखा है। भेंट-मुलाकात के लिए राजिम रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर हेलीपैड पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। बिलासपुर में हुए सामान्य वर्ग के छात्रों के प्रदर्शन के बारे में उठे सवाल पर उन्होंने कहा, कोर्ट ने 50% जरूर कहा है। लेकिन यह भी कहा है कि जहां विशेष परिस्थिति हो वहां राज्य सरकारें इसे बढ़ा सकती हैं। एकतरफा बात नहीं होनी चाहिए। 50% तो ठीक है। वह तो सामान्य स्थिति है। लेकिन जहां असामान्य स्थिति है वहां के लिए क्या? अब यहां तो 44% जंगल है। यहां की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थिति अलग है। इस कारण से इसे बढ़ाया गया है। उसमें ईडब्ल्यूएस को भी मौका है। उनको भी तो दिया गया है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि राज्यपाल अनुसूईया उइके उनको भेजे गए आरक्षण संशोधन विधेयकों पर आज हस्ताक्षर कर देंगी।

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कहा – देश की दिशा तय करेगा कांग्रेस का अधिवेशन

रायपुर में प्रस्तावित कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के बारे में पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन पर पूरे देश और दुनिया की निगाह होती है। तीन दिन के अधिवेशन में जहां राजनीतिक प्रस्ताव पारित किये जाएंगे। आर्थिक प्रस्ताव पारित किये जाएंगे। वहीं विदेश नीति की भी चर्चा होती है। सभी बातों पर चर्चा होनी है। इसका फायदा केवल प्रदेश और पड़ोसी राज्यों को ही नहीं होगा, इससे पूरे देश की दिशा तय होगी।

अब SC 13%, ST 32%, OBC 27% और EWS का 4% कोटा

विधानसभा ने 2 दिन पहले ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने वाले दो नये विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित किया था। इसे राज्यपाल को भेजा गया है। उनके हस्ताक्षर करने के बाद विधेयक अधिनियम बन जाएंगे। असाधारण राजपत्र में प्रकाशित होते ही यह प्रदेश में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। उसके बाद ही प्रदेश में नई भर्तियों और स्कूल-कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षण का रोस्टर जारी होगा। उच्च न्यायालय के 19 सितम्बर को आये एक फैसले से छत्तीसगढ़ में आरक्षण खत्म हो गया है।

राज्यपाल को विधेयक सौंपने पहुंचे थे पांच मंत्री

विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद विधेयकों को तुरंत राजभवन पहुंचाने की कार्यवाही शुरू हुई। विधानसभा सचिवालय में औपचारिकता पूरी करने के बाद संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे, विधि मंत्री मोहम्मद अकबर, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया रात को ही राजभवन पहुंचे थे। वहां उन्होंने राज्यपाल अनुसूईया उइके से मुलाकात कर विधानसभा में पारित छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक- 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था प्रवेश में आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2022 को सौंपा था। राज्यपाल ने उक्त विधेयक के संबंध में प्रक्रिया में लेते हुए नियमानुसार शीघ्र कार्यवाही की बात कही थी।

इन कानूनों से मिलेगा आरक्षण

छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा।

जिलों में 88% तक हो सकता है आरक्षण

राज्य सरकार ने इस विधेयक में पहली बार जिला कॉडर के पदों पर आरक्षण का निर्धारण कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया, जिलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुसूचित जाति और जनजाति को संबंधित जिले में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा। अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को अलग-अलग जिलों में 4 से 10% तक आरक्षण मिलेगा। अभी तक जिला कॉडर का आरक्षण एक शासनादेश के जरिये दिया जाता रहा है। उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर के आदेश में यह आरक्षण अवैध बताकर सरगुजा संभाग के जिलों में खारिज कर दिया था। अब नई व्यवस्था की वजह से किसी-किसी जिले में आरक्षण की सीमा 88% तक हो जाएगी।

आपको बताया दें कि विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान पहली बार एक बिल-विधेयक पर बवाल हुआ था। नौबत मंत्रियों-विधायकों के बीच धक्कामुक्की तक पहुंच गई। मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया ने आरोप लगाया था कि आरक्षण का विरोध करते हुए भाजपा विधायकों ने अनुसूचित जाति के एक मंत्री से धक्कामुक्की की वहीं भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, डहरिया जी तो केवल टूल हैं। उनको संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उकसाया है। दरअसल विधानसभा में आरक्षण पर संशोधन विधेयक पेश होने के तुरंत बाद विपक्ष खासकर भाजपा विधायकों ने व्यवस्था का प्रश्न उठा दिया। विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना था, “जो मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, उस पर विधानसभा में चर्चा कैसे हो सकती हो।’ भाजपा विधायक अध्यक्ष से इसका जवाब मांगने लगे। सत्ता पक्ष के विधायकों खासकर मंत्री रविंद्र चौबे, अमरजीत भगत, शिव् डहरिया आदि ने इसका तीखा विरोध किया।

उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा बहुत गुस्से में थे। उन्होंने कहा, उनकी सरकार इतना महत्वपूर्ण आरक्षण विधेयक लाई। इस बीच बृजमोहन अग्रवाल का ढोंग, उसकी धमकी विधानसभा के अंदर चल रहा था। यह माफ करने लायक नहीं है। बृजमोहन अग्रवाल अपने पैसे के दम पर गुंडागर्दी दिखा रहे थे। उससे हमलोग डरने वाले नहीं हैं। उसको मुंहतोड़ जवाब देंगे। खासतौर से आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के लोग उसे माफ नहीं करेंगे। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा,यह दुर्भाग्यजनक है कि विधानसभा में जब चर्चा करते हैं तो सत्ता पक्ष के विधायक नहीं मंत्री डिस्टर्ब करते हैं। ये 76% आरक्षण की बात कर रहे हैं। हम तो चाहते हैं कि पूरे 78% आरक्षण हो। अनुसूचित जाति को भी 16% आरक्षण मिले। लेकिन उस आरक्षण का फायदा यहां के लोगों को मिलना चाहिए। कांग्रेस के लोग नहीं चाहते हैं कि उनको आरक्षण मिले। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में केस चलते हुए विधेयक ला रहे हैं जो नियमों के खिलाफ है।

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