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रायगढ़// लंबे समय से विवादों में घिरी अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड की प्रस्तावित पुरूंगा भूमिगत कोयला खदान के संबंध में बड़ी खबर सामने आई है। पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आयोजित होने वाली जनसुनवाई को अचानक स्थगित कर दिया गया है। यह खदान रायगढ़ जिले के तहसील-छाल में, ग्रामों कोकदार, पुरूंगा और समरसिंगा में स्थित है। यह जनसुनवाई खदान की स्थापना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु आयोजित की जानी थी।
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, रायगढ़ के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा जारी पत्र क्रमांक 1962 /क्षे.का./प.प.सं./2025 के अनुसार, सर्वसंबंधितों को सूचना की प्रति संलग्न है। जनसुनवाई को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है, और जल्द ही नई तारीख की घोषणा की जाएगी।
जनता के विरोध के आगे झुका प्रशासन?
यह कोयला खदान रायगढ़ जिले के तहसील-छाल में 869.025 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित थी, जिसकी उत्पादन क्षमता 2.25 MTPA है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना था कि खदान से उनके कृषि भूमि, जल स्रोत और वन सम्पदा पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीण लंबे समय से पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया का विरोध कर रहे थे और जनसुनवाई को निष्पक्ष न होने देने की चेतावनी दे रहे थे।
विरोध कर रहे समूहों का मानना है कि यह स्थगन सीधे तौर पर उनके एकजुट विरोध का परिणाम है। यह कदम बताता है कि जनता की आवाज़ को अब नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं है।
अब आगे क्या?
अधिकारियों ने केवल सूचना को प्रकाशित करने का निर्देश दिया है, लेकिन नई जनसुनवाई की तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड और प्रशासन को अब स्थानीय लोगों के विरोध को देखते हुए नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ सकती है। यह स्पष्ट है कि इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए कंपनी को जनता का विश्वास और समर्थन हासिल करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल, कोकदार, पुरूंगा और समरसिंगा के ग्रामीणों के बीच इस अप्रत्याशित स्थगन से खुशी का माहौल है।




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