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रायपुर// महादेव ऐप के सरगना सौरभ चंद्राकर को दुबई में गिरफ्तार किया गया है, जो 6000 करोड़ रुपये के अवैध सट्टेबाजी घोटाले में शामिल था। महादेव ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म है, जिसका संचालन सौरभ चंद्राकर और उसके साथी कर रहे थे। यह ऐप भारत सहित कई अन्य देशों में अवैध रूप से सट्टेबाजी और जुआ संचालित करता था।
इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि सौरभ और उसकी टीम ने हाई-प्रोफाइल इवेंट्स और सेलेब्रिटी आयोजनों में बड़े स्तर पर पैसा खर्च किया, जिससे वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रडार पर आए। जांच में यह भी सामने आया कि सौरभ चंद्राकर ने अपनी अवैध कमाई को विभिन्न हवाला चैनलों के जरिए भारत में भेजा और उसे वैध व्यापारों में निवेश करने की कोशिश की।
यह घोटाला न केवल सट्टेबाजी से संबंधित है, बल्कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला जैसे वित्तीय अपराध भी जुड़े हुए हैं। भारतीय जांच एजेंसियां इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कर रही हैं, और सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी के बाद कई और खुलासे होने की संभावना है।
बता दें कि, लगभग डेढ़ महीने पहले, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का फैसला किया था। यह निर्णय 22 अगस्त को लिया गया था और अब इस घोटाले के किंगपिन सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी हुई है। इस कार्रवाई से सीएम साय के उस मजबूत रुख की याद दिलाई जा रही है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री साय ने तभी यह कहा था कि सभी दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए जांच CBI को सौंपी गई है।
CBI और ED की अहम भूमिका
CBI और ED की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई जांच ने चंद्राकर की गैरकानूनी गतिविधियों का खुलासा किया। अब तक 572.41 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया जा चुका है, जिसमें से 100 करोड़ रुपये की संपत्ति दुबई में स्थित है।
IG राम गोपाल गर्ग की अनूठी पहल
इस ऑपरेशन की सफलता के पीछे दुर्ग रेंज के पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग का योगदान अभूतपूर्व रहा। गर्ग ने CBI में अपने 7 वर्षों के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए सौरभ चंद्राकर की हर गतिविधि पर नज़र रखी. इसके अलावा, गर्ग ने CID के माध्यम से एक पहली बार की गई अनूठी अनुरोध प्रक्रिया चलाई, जो सीधे छत्तीसगढ़ सरकार के गृह विभाग के जरिये की गई थी।
IG गर्ग ने जुलाई 2024 में मानसून सत्र के दौरान गृह मंत्रालय को चंद्राकर की प्रोविजनल अरेस्ट के लिए तत्काल अनुरोध भेजा। सितंबर 2024 में गृह मंत्रालय ने इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए, जिसके जवाब गर्ग ने तेजी से दिए और सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया। उनके जवाब के बाद ही प्रोविजनल अरेस्ट और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा सका। इस उच्च-स्तरीय समन्वय का परिणाम ही चंद्राकर की गिरफ्तारी और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी लाने में कारगर साबित हुआ।
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