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रायगढ़// तमनार के बजरमुड़ा में हुआ भूअर्जन घोटाला एक केस स्टडी बन गया है। आने वाले समय में राजस्व अधिकारियों को ट्रेनिंग में इसे पढ़ाया जा सकता है। यह बेहद रोचक कथा है कि कैसे सीएसपीजीसीएल, राजस्व विभाग, पीडब्ल्यूडी, वन विभाग आदि के मुलाजिमों ने मिलकर इतने बड़े कांड का अंजाम दिया। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर के आदेश दिए हैं लेकिन यह मामला इससे भी बड़ा है। अभी भी जांच की आंच सीएसपीजीसीएल और जिला कार्यालय तक नहीं पहुंची है।
छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर 3 के भूअर्जन में सबसे बड़ा घोटाला किया गया। मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. पर लीज स्वीकृत की गई। इसमें लीज क्षेत्र के अंतर्गत 362.719 हे. और बाहर 38.623 हे. भूमि का सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। जुलाई 2020 को प्रारंभिक सूचना प्रकाशित की गई। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया। सीएसपीजीसीएल ने अवॉर्ड राशि पर आपत्ति जताई लेकिन तत्कालीन कलेक्टर ने केवल ब्याज को 32 माह से घटाकर 6 माह का किया।
जिसके बाद मुआवजा 415.69 करोड़ हो गया। पूरे छग में किसी एक गांव में मिलने वाला यह सबसे अधिक अवार्ड राशि है। इससे अधिक का अवार्ड कहीं और पारित ही नहीं हुआ है। व्हिसलब्लोअर दुर्गेश शर्मा ने मामले की शिकायत की जिसके बाद जांच हुई। दुर्गेश शर्मा का कहना है कि इस मामले में एफआईआर का आदेश होना पहली सफलता है। लेकिन छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी के अधिकारियों की भूमिका की जांच नहीं हुई है। कंपनी ने परिसंपत्तियों की गणना पर आपत्ति जताई थी तो फिर जानते-बूझते कैसे 415 करोड़ रुपए दे दिए गए। उनका कहना है कि इस मामले में विस्तृत जांच ईओडब्ल्यू या सीबीआई ही कर सकेगी।
एकाउंट ट्रांजेक्शन देखने पर खुलेगी पोल
बजरमुड़ा में 170 हे. भूमि का मुआवजा मुश्किल से 60 करोड़ बनता। लेकिन सारे भूमिस्वामियों के नाम पर फर्जी संपत्तियां दिखाई गई। ऐसा करके 415 करोड़ का अवार्ड पारित किया गया। असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं, पोल्ट्री फार्म आदि का मनमानी मुआवजा आकलन किया गया। मुआवजा राशि चैक के जरिए दी गई। खातेदार के एकाउंट में राशि आने के बाद कहां, कितना ट्रांजेक्शन हुआ। राशि की बंदरबांट का पता तभी चलेगा जब जांच में संबंधित बैंक को भी लपेटे में लिया जाएगा।
एफआईआर में जुड़ेंगे और नाम
कलेक्टर रायगढ़ ने घोटाले के लिए जिम्मेदार तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना, पीडब्ल्यूडी सब इंजीनियर धर्मेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत और बीटगार्ड रामसेवक महंत के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच व मिलान के लिए अलग टीम बनाई गई थी जिसमें नायब तहसीलदार अनुराधा पटेल, आरआई प्रवीण लकड़ा, पटवारी जितेंद्र पन्ना समेत 9 लोग थे। तहसीलदार टीआर कश्यप, पीडब्ल्यूडी के केपी राठौर, पटवारी सीआर सिदार, पीएचई के देवप्रकाश वर्मा व आरके टंडन, उद्यान विभाग के संजय भगत, वन विभाग के बलराम प्रसाद पडि़हारी भी टीम में थे।
क्या शासन से ली गई है अनुमति?
पूर्व कलेक्टर रायगढ़ ने एसडीएम घरघोड़ा को बजरमुड़ा घोटाले के जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। एसडीएम और तहसीलदार रैंक के अफसरों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध करने के पूर्व विभागीय अनुमति आवश्यक होती है। इस मामले में अनुमति ली गई है या नहीं, अभी इस पर संशय है। हालांकि राजस्व विभाग ने ही जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया था।