ASI ने कानून को गुमराह कर नकली पत्नी को किया कोर्ट में खड़ा और ले लिया तलाक, अब असली पत्नी की गुहार पर हाई कोर्ट ने मामले में लिया संज्ञान..

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बिलासपुर-रायगढ़/ आपने अभी तक कोर्ट में नकली कागजात पेश करने, नकली गवाहों को लाने समेत फर्जी मुकदमे के बारे में देखा और सुना होगा। लेकिन हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई है। जिसमे कानून के रखवाले ने ही कानून को गुमराह करने का काम किया है। रायगढ़ निवासी एएसआई विवेकानंद पटेल की शादी ओडीसा के बरगढ़-बरपाली की रहने वाली स्मिता पटेल से साल 2016 में हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनों के बीच विवाद शुरु हो गया। जिसके बाद स्मित ओडीसा चली गई। करीब 2 साल तक स्मिता और विवेकानंद अलग रहे। इस बीच स्मिता ने कई बार विवेकानंद के पास आने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी।

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तभी एक दिन स्मिता को पता चला कि उसका तलाक विवेकानंद से हो चुका है। ये बात स्मिता के लिए इसलिए चौंकाने वाली थी क्योंकि स्मिता ने विवेकानंद से तलाक लेने के लिए किसी भी तरह की अर्जी कोर्ट में नहीं लगाई थी। सच्चाई का पता करने के लिए स्मिता बिलासपुर आई और परिवार न्यायालय से तलाक के आदेश की नकल निकलवाई। नकल देखते ही स्मिता के पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि आवेदन में जिस लड़की की तस्वीर लगी थी वो स्मिता की नहीं थी। मामला साफ हो चुका था कि विवेकानंद ने किसी और लड़की को स्मिता बनाकर कोर्ट में पेश किया और तलाक ले लिया।

हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान:-

इसके बाद असली पत्नी ने परिवार न्यायलय के नकल पेपर को आधार बनाकर हाईकोर्ट में इसकी शिकायत की । जिसके बाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार विजिलेंस टीम को जांच के निर्देश दिए। मामले को विजिलेंस ने सही पाया। लिहाजा स्मिता ने परिवार न्यायालय में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भरण पोषण के लिए आवेदन लगाया। जिसे परिवार न्यायालय ने खारिज कर दिया। जिसके बाद स्मिता ने दोबारा हाईकोर्ट में भरण पोषण की याचिका लगाई।जिसके बाद हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय को आदेश दिया कि वो धारा 24 के तहत मामले की सुनवाई करे और पति की संपत्ति की पूरी जानकारी लेकर उसकी जांचं करने के बाद भरण पोषण की राशि निर्धारित करे।

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