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रायपुर// छत्तीसगढ़ में इन दिनों लोकसंगीत की अश्लीलता को लेकर विरोध की लहर तेज हो गई है। कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों की ओर से अश्लील गीतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। इसी क्रम में रायपुर के सिविल लाइन थाना में हाल ही में 25 से अधिक लोकगायकों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज की गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि ये गायक समाज में अश्लीलता और विकृति फैला रहे हैं।
हालांकि, इस कार्रवाई के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह अभियान निष्पक्ष है? कई लोगों का कहना है कि कार्रवाई सिर्फ छोटे और नवोदित कलाकारों तक सीमित है, जबकि बड़े और स्थापित नामों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
इसी संदर्भ में छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘मया’ का गाना “खटिया मा आना, बत्ती बुझाना” भी विवादों में आ गया है। इस गाने को लेकर सोशल मीडिया पर तीव्र विरोध देखा गया। फिल्म में प्रमुख भूमिकाओं में भाजपा विधायक अनुज शर्मा हैं, जबकि निर्देशन किया है सतीश जैन ने और संगीत निर्देशन सुनील सोनी का है। गाने को स्वर दिया है प्रसिद्ध गायिका अल्का चंद्राकर ने।
हाल ही में एक मीडिया इंटरव्यू में अल्का चंद्राकर ने इस गाने को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने फिल्म के निर्देशक सतीश जैन और म्यूजिक डायरेक्टर सुनील सोनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा :
“मुझे इस गाने के असल बोल और उसकी प्रस्तुति के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। मुझे भरोसे में लेकर गाना रिकॉर्ड कराया गया, जबकि इसका वास्तविक आशय कुछ और ही निकला। मैं इसे लेकर खुद को ठगा हुआ महसूस करती हूं। सतीश जैन और सुनील सोनी ने मुझे पूरी सच्चाई नहीं बताई।”
उन्होंने जनता से माफी मांगते हुए आगे कहा, “इस गाने के बाद मैंने फिल्म इंडस्ट्री में गाना गाना ही छोड़ दिया है। मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से हमारी लोकसंस्कृति को ठेस पहुंचे।” इसके साथ ही उन्होंने युवा कलाकारों से अपील की कि वे अपनी कला को समझदारी से प्रस्तुत करें और किसी के बहकावे में आकर ऐसे गीतों का हिस्सा न बनें जो समाज में गलत संदेश दें।
फिलहाल मया फिल्म के निर्देशक और म्यूजिक डायरेक्टर की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि अश्लील गीतों के निर्माण, गायन और प्रचार में शामिल सभी जिम्मेदार लोगों पर समान रूप से कार्रवाई की जाए, चाहे वे कितने भी बड़े नाम क्यों न हों। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए यह सामाजिक चेतना एक आवश्यक कदम है। पर इसकी विश्वसनीयता तभी बनी रहेगी जब यह कार्रवाई पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से की जाए। अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ में छिड़ी यह मुहिम आगे क्या मोड लेती है।
Source: https://youtu.be/cYUKX_Hbcew?si=5aw5hyRMBEF1UvTE