शेयर करें...
कोरबा// कमर्षियल कोल माईनिंग को लेकर कोल इंडिया में हुए तीन दिवसीय हड़ताल के दौरान कोल इंडिया को 309 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। कोल इंडिया ने खुद यह आंकड़ा जारी किया है, लेकिन श्रमिक संगठनों की मानें तो नुकसान का यह आंकड़ा करीब 700 करोड़ का है। हड़ताल के बाद जिस तरह से सरकार ने हसदेव अरण्य क्षेत्र के चार कोल ब्लाॅकों का नाम नीलामी से हटाया है उसे श्रमिक संगठनों ने हड़ताल की जीत बताया है।
कमर्षियल कोल माईनिंग के खिलाफ श्रमिक संगठनों द्वारा 2 जुलाई से 4 जुलाई तक किए गए 72 घंटे की हड़ताल को श्रमिक संगठनों ने पूरी तरह से सफल बताया है। हड़ताल के दौरान कोल इंडिया को 309 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। एसईसीएल में नुकसान का आंकड़ा 109 करोड़ है जबकि कोरबा जिले में करीब 80 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। कोल इंडिया ने खुद यह आंकड़ा जारी किया है।श्रमिक संगठनों का कहना है, कि हड़ताल के दबाव से ही सरकार ने प्रदेष के हसदेव अरण्य क्षेत्र अंतर्गत आने वाले चार कोल ब्लाॅकों की नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर दी है जिसे उन्होंने हड़ताल की जीत बताया है।
श्रमिक संगठनों ने साफ कर दिया है, कि सरकार ने जो 41 कोल ब्लाॅकों को नीलाम करने का निर्णय लिया है उसे किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने दिया जाएगा। हड़ताल से कोल इंडिया को जो नुकसान हुआ है उसके आंकड़े पर श्रमिक संगठनों को भरोसा नहीं है। श्रमिक संगठनों का कहना है, कि कोल इंडिया नुकसान के आंकड़े को छिपा रही है। हड़ताल से कोयला कंपनी को 309 करोड़ नहीं बल्की लगभग 700 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। क्योंकि हड़ताल के बाद उत्पादन के साथ ही परिवहन को पटरी पर आने के लिए काफी समय लगता है लिहाजा नुकसान का आंकड़ा ज्यादा है। कमर्षियल कोल माईनिंग के खिलाफ हुए हड़ताल के बाद सरकार ने हसदेव अरण्य क्षेत्र के चार कोल ब्लाॅकों की नीलामी नहीं करने का निर्णय लिया है। लेकिन श्रमिक नेता इससे मानने वाले नहीं हैं उन्होंने कहा है, कि बाकी कोल ब्लाॅकों को नीलामी से बचाने के लिए वे पूरा जोर लगा देंगे।
Owner/Publisher/Editor