धान खरीदी के पहले दिन ज्यादातर समितियों में पसरा सन्नाटा, लटके दिखे ताले, वैकल्पिक व्यवस्था के बावजूद किसान भटकने को मजबूर, जिम्मेदार कौन..??

शेयर करें...

सारंगढ़ बिलाईगढ़// छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर यानी शनिवार से धान खरीदी की शुरूआत हो गई है। परन्तु धान खरीदी के पहले दिन ही जिले के अधिकतर समितियों में सुबह से शाम तक सन्नाटा पसरा हुआ दिखाई दिया, कुछ समितियों में तो ताला भी लटका नजर आया। ऐसे में किसानों की चिंता और बढ़ गई और वो बार बार समितियों के चक्कर काटते दिखाई दिए।

Join WhatsApp Group Click Here
समितियों में पसरा सन्नाटा

बता दें कि वर्तमान में प्रदेश के प्रभारी प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर अपनी 4 सूत्रीय मांगों के लेकर हड़ताल पर है। जिसके कारण शासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर इन समितियों में पटवारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। इधर कृषि विस्तार अधिकारी संघ ने भी अपनी विभागीय कामों का हवाला देते हुए धान खरीदी ना कर पाने की मांग की है।

REO-ज्ञापन

इस संबंध में उनके द्वारा शुक्रवार को कलेक्टर संजय कन्नौजे को ज्ञापन सौंपकर उनका नाम चेकपोस्ट और समितियों में लगे ड्यूटी से हटाने की मांग की है। अगर उनका नाम नहीं हटाया गया तो वो भी आंदोलन करने को बाध्य होने की चेतावनी दे रहे हैं। सुगबुगाहट यह भी है कि पटवारी संघ भी धान खरीदी में इंटरेस्टेड नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इन सभी समितियों में धान खरीदी करेगा कौन?

कार्यालय में लटका दिखा ताला

एस्मा लागू, काम पर नहीं लौटने वालों की हुई सेवा समाप्त

अनिश्चितकालीन हड़ताल में गए जिले के 4 समिति के प्रभारी प्रबंधक को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। इस संबंध में आदेश जारी करते हुए यह कहा गया है कि एस्मा के परिपालन में आपको नोटिस के माध्यम से समिति में धान खरीदी कार्य के लिए उपस्थित होने कहा गया था। परन्तु आपने प्रशासन के नोटिस का ना तो कारण बताया और ना ही कोई संतोषप्रद जवाब दिया। इसलिए इसे घोर लापरवाही मानते हुए तत्काल प्रभाव से आपकी सेवा को समाप्त किया जाता है। इसमें क़ृषि सहकारी समिति मर्यादित पवनी के रामेश्वर साहू, समिति भटगांव के राजेश कुमार आदित्य, समिति धनगांव के दयाराम यादव, समिति जोरा के गिरजा शंकर साहू शामिल है। यह आदेश प्राधिकृत अधिकारी के द्वारा जारी किया।

4-समिति-प्रबंधक-की-सेवा-समाप्ति

धान बेचने के लिए किसानों की बड़ी चिंता

छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश है और यहां के ज्यादातर किसान धान की खेती पर ही निर्भर हैं। खेतों में धान तैयार है और कटाई भी युद्ध स्तर पर चल रहा है। ऐसे में धान बेचने के ऐन वक्त पर अधिकारी-कर्मचारी और शासन-प्रशासन के बीच सामंजस्य नहीं बैठने से किसानों की चिंता बढ़ती दिखाई दे रही है। अगर समितियों में अधिकारी कर्मचारी ही न हों तो किसान कहां जाए..? यह बड़ा सवाल है.? और वर्तमान में किसानों को ही रही इस समस्या का जिम्मेदार कौन है यह समझ से परे है। शायद.. यही विष्णु का सुशासन है.?

इस संबंध में राज्य सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाते हुए अधिकारी कर्मचारियों से सामंजस्य स्थापित कर किसानों को हो रही समस्या से छुटकारा दिलाने की जरूरत समझी जा रही है।

Scroll to Top