हाथियों के कारण वन विभाग को बड़ी क्षति, 4 महीने में 4.75-करोड़ का नुकसा, छत्तीसगढ़ में 247 हाथी कर रहे विचरण..

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बिलासपुर// बिलासपुर वनमंडल में जंगली हाथियों के कारण पिछले चार महीनों में 4.75 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। छत्तीसगढ़ में कुल 247 हाथी हैं, जिनमें से लगभग 100 हाथी अकेले बिलासपुर वन वृत्त के अलग-अलग क्षेत्रों में विचरण कर रहे हैं।

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बिलासपुर वन वृत्त के वन संरक्षक मनोज पांडेय के मुताबिक, हाथियों से हुए नुकसान के लिए प्रभावितों को मुआवजा दिया गया है। इसमें जनहानि के लिए 90 लाख रुपए, जन घायल के लिए 87,380 रुपए,

पशुहानि के लिए 1 लाख 3 हजार 600 रुपए, फसल क्षति के लिए 3 करोड़ 54 लाख 16 हजार 625 रुपए और अन्य संपत्ति हानि के लिए 29 लाख 33 हजार 779 रुपए की राशि शामिल है। हाथियों के रहवास में अंधाधुंध उत्खनन और शहरीकरण के कारण बाधा उत्पन्न हुई है। इसी वजह से पड़ोसी राज्यों ओडिशा, झारखंड और मध्यप्रदेश से हाथियों के झुंड भोजन और पानी की तलाश में लगातार छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं। राजनांदगांव से महाराष्ट्र के गढ़चिरोली से भी हाथी छत्तीसगढ़ आते हैं।

जानकारों के अनुसार, यहां का पारंपरिक महुआ, उससे बनी कच्ची शराब, धान के हरे-भरे खेत और चावल की खुशबू जंगली हाथियों को आकर्षित करती है। यह भी उनके मानव बस्तियों के करीब आने का एक प्रमुख कारण है। जंगली हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में सरगुजा और बिलासपुर सर्किल आते हैं। इनमें कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ और सरगुजा के सभी वनमंडल प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन क्षेत्रों में हाथियों का विचरण और मानव-हाथी संघर्ष एक गंभीर समस्या बन गया है।

बिलासपुर वन वृत्त द्वारा मानव-हाथी संघर्ष को कम करने, हाथियों के संरक्षण को बढ़ावा देने और गज गलियारों को सुरक्षित एवं सुगम बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए विभाग द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में लगातार निगरानी की जा रही है। मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वृत ने जनता से अपील की है कि हाथियों के देखे जाने पर सूचना तुरंत वन विभाग कार्यालय और हेल्पलाइन नंबर पर दें। सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त दूरी बनाए रखें। उन्होंने कहा कि वन विभाग सामुदायिक सहयोग और वैज्ञानिक पद्धतियों के माध्यम से हाथियों के संरक्षण तथा मानव सुरक्षा को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ रहा है।

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