लाइमस्टोन खदान के विरोध में कलेक्टोरेट का घेराव, ग्रामीण बोले किसी भी कीमत पर नहीं देंगे जमीन, विधायक उत्तरी जांगड़े का आंदोलन को समर्थन..

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सारंगढ़ बिलाईगढ़// ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित लाइमस्टोन खदान के विरोध में गुरुवार को पांच गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्टोरेट पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रभावित गांवों के लोगों ने सारंगढ़ विधायक उत्तरी जांगड़े के नेतृत्व में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और 17 नवंबर को प्रस्तावित जन सुनवाई को रद्द करने की मांग की।

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बता दें कि यह खदान नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के लाला धुरवा, धौराभांठा, जोगनीपाली, सरसरा और कपीसदा गांव की करीब 500 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित है। कंपनी को भुवनेश्वर स्थित ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रा. लि. के नाम से यह खदान आवंटित की गई है। पहले 24 सितंबर को जन सुनवाई रखी गई थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद प्रशासन ने उसे स्थगित कर दिया था। अब 17 नवंबर को दोबारा सुनवाई तय की गई है, जिसे ग्रामीण किसी भी सूरत में होने नहीं देना चाहते।

विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों ने कहा कि वे अपनी जमीन कंपनी को नहीं देंगे। उनका आरोप है कि कंपनी ने फर्जी आंकड़े और गलत जानकारी देकर शासन-प्रशासन को गुमराह किया है। ग्रामीणों ने कहा कि यह खदान खुलने से क्षेत्र की खेती और पर्यावरण दोनों पर भारी असर पड़ेगा। धान उत्पादन प्रभावित होगा, पानी और हवा प्रदूषित होगी, जिससे आम जनता और पशुओं को नुकसान होगा।

विधायक उत्तरी जांगड़े भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन में शामिल होकर ग्रामीणों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की सहमति के बिना कोई परियोजना नहीं चलाई जा सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी सिर्फ नाम बदलकर काम शुरू करना चाहती है, जबकि असल में यह बड़ी औद्योगिक समूहों से जुड़ी है।

प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर की अनुपस्थिति के कारण एडीएम डॉ वर्षा बंसल को ज्ञापन सौंपा। प्रशासन की ओर से बताया गया कि ग्रामीणों की आपत्तियों और ज्ञापन में उठाए गए बिंदुओं पर वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर जन सुनवाई निरस्त नहीं की गई तो वे बड़े आंदोलन के लिए सड़क पर उतरेंगे। फिलहाल क्षेत्र में खदान के विरोध को लेकर माहौल गर्म है और 17 नवंबर की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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