शेयर करें...
कोरबा// कोरबा जिले के गेवरा माइंस क्षेत्र में सोमवार को उस वक्त हालात बेकाबू हो गए जब भूविस्थापितों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर सीआईएसएफ के जवानों ने लाठीचार्ज कर दिया। बताया जा रहा है कि आंदोलन कर रहे ग्रामीणों पर बेरहमी से लाठियां बरसाई गईं, जिससे कई लोग घायल हो गए। घटना के बाद मौके पर भगदड़ मच गई और ग्रामीणों ने गेवरा खदान के मुख्य द्वार पर चक्काजाम कर दिया। फिलहाल इलाके में तनाव बना हुआ है।
जानकारी के मुताबिक, गेवरा खदान के विस्तार को लेकर एसईसीएल प्रबंधन और प्रभावित ग्रामीणों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि विस्थापन के बदले रोजगार, उचित बसावट और मौजूदा दर पर मुआवजा दिया जाए। इन्हीं मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में आज गेवरा माइंस के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जा रहा था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आंदोलन के दौरान सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने ग्रामीणों से बदसलूकी की। विरोध जताने पर अधिकारी ने अचानक लाठीचार्ज का आदेश दे दिया। इसके बाद जवानों ने निहत्थे ग्रामीणों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इस घटना में कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें दीपक साहू, रमेश दास, बिमल दास और गुलाब का नाम शामिल है। ग्रामीणों का आरोप है कि घायलों को जबरन थाने ले जाया जा रहा था, लेकिन विरोध बढ़ने पर सीआईएसएफ जवान उन्हें बीच रास्ते में ही छोड़कर भाग गए।
आक्रोशित ग्रामीणों ने दीपका थाने पहुंचकर सीआईएसएफ अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की मांग की है। वहीं, गेवरा खदान के मेन गेट पर बड़ी संख्या में ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं और रास्ता जाम कर दिया है। एसईसीएल प्रबंधन ने एहतियात के तौर पर खदान क्षेत्र में भारी पुलिस बल और सीआईएसएफ जवानों की तैनाती कर दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर लाठीचार्ज के दौरान भगदड़ में किसी की जान चली जाती तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होती? घटना के दौरान खदान में भारी वाहन चल रहे थे, जिससे किसी बड़ी दुर्घटना का खतरा बना हुआ था। लोगों ने सवाल उठाया है कि आखिर शांतिपूर्ण आंदोलन पर लाठीचार्ज की जरूरत क्यों पड़ी?
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक घायल साथियों को न्याय और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, वे आंदोलन वापस नहीं लेंगे। फिलहाल गेवरा खदान क्षेत्र में हालात तनावपूर्ण हैं और पुलिस बल की निगरानी में स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।


