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रायगढ़// पुसौर ब्लॉक के ग्राम कोतमरा के किसानों ने अपनी कृषि भूमि को अडानी कंपनी द्वारा औद्योगिक प्रयोजन के लिए अधिग्रहण किए जाने के प्रस्ताव का तीखा विरोध किया है। सोमवार को गांव के सैकड़ों किसानों और ग्रामीणों ने जन आक्रोश रैली निकालकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने कहा कि वे अपनी जमीन किसी भी हालत में उद्योगों को नहीं देंगे।

ग्राम कोतमरा की 116.344 हेक्टेयर निजी खेती की भूमि को उद्योग के लिए अधिग्रहित करने की प्रक्रिया चल रही है। ग्रामीणों ने बताया कि यह भूमि उनकी पैतृक संपत्ति है और यही उनके जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है। भूमि जाने से वे भूमिहीन और बेरोजगार हो जाएंगे।

किसानों ने ज्ञापन में भूमि अर्जन का विरोध करते हुए 17 प्रमुख कारण बताए
- अधिकांश भूमि पूर्वजों से प्राप्त पैतृक संपत्ति है और कृषि ही जीवनयापन का मुख्य साधन है।
- प्रस्तावित भूमि सिंचित और दो फसली है, जो किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है।
- गांव के किसी भी किसान ने अपनी जमीन कंपनी को देने की सहमति नहीं दी है। दो बार ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर विरोध दर्ज किया जा चुका है।
- प्रस्तावित क्षेत्र में डोंगिया तालाब और बेहरा डभरी तालाब हैं, जिनमें चार ग्रामीण मछली पालन कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
- डोंगिया तालाब के पास शमशान घाट स्थित है।
- प्रस्तावित भूमि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला से सटी हुई है।
- भूमि ग्राम पंचायत भवन से लगी हुई है।
- प्रस्तावित क्षेत्र राशन दुकान (पीडीएस) के पास है।
- इसी भूमि में गांव के जगन्नाथ मंदिर का भोग भूमि शामिल है।
- भूमि गांव की बस्ती से सटी हुई है। कई ग्रामीणों के मकान इसी क्षेत्र में बने हैं, जो अधिग्रहण से बेघर हो जाएंगे।
- बरसात के दिनों में जतरी बहरा का पानी इन्हीं खेतों से निकलता है, जिससे निकासी मार्ग अवरुद्ध हो जाएगा।
- इन खेतों के बीच से सेवा सहकारी समिति मर्यादित बड़ेभंडार का मुख्य मार्ग गुजरता है, जिससे कई गांवों के किसान धान बेचने आते हैं।
- ग्राम का सबसे बड़ा 50 एकड़ का टार तालाब इन्हीं खेतों की सिंचाई करता है।
- ग्राम कोटवार की कोटवारी भूमि भी प्रस्तावित क्षेत्र में शामिल है।
- इन्हीं खेतों में खेतीहर मजदूर परिवारों का रोज़गार जुड़ा हुआ है।
- भूमि अधिग्रहण से कई किसान भूमिहीन होकर बेरोजगार हो जाएंगे, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण कठिन हो जाएगा।
- ग्रामीणों का कहना है कि उद्योग लगने से वायु और पर्यावरण प्रदूषण बढ़ेगा, जो गांव और फसलों के लिए नुकसानदायक होगा।
ग्रामीणों ने कहा कि वे पहले भी कलेक्टर, एसडीएम और अन्य अधिकारियों को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। अब उन्होंने सामूहिक रूप से विरोध का रास्ता चुना है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि कृषि भूमि में औद्योगिक प्रयोजन की प्रक्रिया पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।



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