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रायपुर// छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने एक 28 वर्षीय महिला द्वारा लगाए गए शारीरिक शोषण के आरोपों की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। आयोग ने साफ किया कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, क्योंकि इसमें एक नाबालिग शामिल है। आयोग ने इस केस को राज्य बाल संरक्षण आयोग को सौंपने का आदेश दिया है।
मामला क्या है
मामला रायपुर की 28 वर्षीय महिला और 17 वर्षीय नाबालिग से जुड़ा है। महिला ने आयोग के समक्ष पेश होकर आरोप लगाया कि उसका शारीरिक शोषण हुआ है। इसके साथ ही उसने लड़के से 50 लाख रुपए मुआवजे की भी मांग की थी। वहीं नाबालिग के माता-पिता आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपने बेटे की उम्र साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और स्कूल दस्तावेज प्रस्तुत किए। दस्तावेजों के अनुसार, लड़का अभी केवल 17 साल का है और शादी की कानूनी उम्र से भी चार साल छोटा है।
महिला ने आयोग को बताया कि उसे लड़के की उम्र का पता नहीं था। फरवरी में जब वह पुरानी बस्ती थाना पहुंची, तभी उसे पहली बार उसकी वास्तविक उम्र का पता चला। महिला और लड़के के बीच 11 साल का अंतर है। महिला का कहना था कि वह इस रिश्ते को लेकर गंभीर थी और शारीरिक संबंध सहमति से बने थे, लेकिन बाद में विवाद हुआ। उसके बाद उसने शोषण की शिकायत दर्ज कराई।
आयोग की सुनवाई और फैसला
बुधवार को महिला आयोग में जनसुनवाई हुई। इस दौरान आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि चूंकि इस प्रकरण में एक नाबालिग शामिल है, इसलिए यह मामला महिला आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के मामलों की जांच और सुनवाई बाल संरक्षण आयोग के अंतर्गत आती है।
डॉ. नायक ने कहा, “लड़कियों को यह समझना चाहिए कि अपने से बहुत छोटे, नाबालिग लड़कों के साथ संबंध बनाना गलत है। समाज को ऐसे रिश्तों से बचने की जरूरत है।” आयोग ने आदेश जारी कर पूरा मामला बाल आयोग को भेजने का निर्देश दिया है। साथ ही संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजने की बात कही गई है ताकि आगे की कार्रवाई वहीं से हो सके।