शेयर करें...
रायगढ़// छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर माने जाने वाले अखिल भारतीय चक्रधर समारोह में इस बार कला से ज्यादा विवादों की चर्चा हो रही है। प्रदेश के मशहूर लोकगायक और प्लेबैक सिंगर नितिन दुबे का कार्यक्रम अचानक रद्द कर दिया गया। आयोजकों द्वारा बजट की कमी का हवाला देते लिए गए इस निर्णय ने स्थानीय कलाकारों और दर्शकों के बीच आक्रोश फैला दिया है।

पहले तय हुआ, फिर अचानक कैंसिल
नितिन दुबे का नाम समारोह के बड़े-बड़े होर्डिंग्स, बैनर्स और आमंत्रण पत्रों पर प्रमुखता से छपा था। यानी उनकी प्रस्तुति को लेकर आयोजक पूरी तरह आश्वस्त थे। लेकिन अंतिम समय पर उन्हें यह कहा गया कि बजट कम है, इसलिए उन्हें आधी फीस में ही प्रस्तुति देनी होगी। नितिन दुबे ने इस शर्त को मानने से इंकार कर दिया, जिसके बाद उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।

कला जगत में नाराजगी
इस घटना को लेकर स्थानीय कलाकारों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि यह सिर्फ नितिन दुबे ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ी कलाकारों के आत्मसम्मान पर चोट है।
नितिन दुबे ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर अपनी पीड़ा जाहिर की, जिसे हजारों लोग शेयर कर रहे हैं। कई कलाकारों ने इसे स्थानीय प्रतिभाओं के साथ सौतेला व्यवहार बताया है।

कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना
यह मामला अब राजनीति तक पहुँच गया है। कांग्रेस ने नितिन दुबे का वीडियो साझा करते हुए फेसबुक पर लिखा
छत्तीसगढ़ के कलाकारों को देने के लिए बजट नहीं और दिल्ली मुंबई से चार्टर प्लेन, आलीशान गाड़ियों और लाखों रुपए लेने वाले कलाकारों को बुलाने के लिए पैसे हैं
ये कौन से अधिकारी कौन से नेता कौन से समिति के सदस्य है जिनको लगता है ये लगातार छत्तीसगढ़ियों का अपमान करते रहेंगे और सब शांति देखते रहेंगे…
यह कृत्य अत्यंत ही शर्मनाक और निंदनीय है
कांग्रेस के इस बयान के बाद विवाद और गहरा गया है।
समारोह की साख पर सवाल
अखिल भारतीय चक्रधर समारोह, जिसे अब तक छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति का गौरव माना जाता रहा है, उस पर अब सवाल उठने लगे हैं।
- क्या वास्तव में स्थानीय कलाकारों को दरकिनार किया जा रहा है?
- क्या बाहरी कलाकारों को ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है?
- और क्या ऐसे फैसले समारोह की साख को कमजोर करेंगे?
रायगढ़ से प्रदेश तक बहस
रायगढ़ में शुरू हुआ यह विवाद अब पूरे प्रदेश में बहस का मुद्दा बन चुका है। कलाकार और राजनीतिक दल दोनों इस सवाल को उठा रहे हैं कि अपने ही कलाकारों को मंच देने में बजट की अड़चन क्यों, जबकि बाहर से आए कलाकारों पर लाखों खर्च करने में कोई कमी क्यों नहीं?
You must be logged in to post a comment.