राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान : सामग्री सप्लाई मे घोटाले का खुलासा, 24 अधीक्षक हटाए गए, लाखों के बिल भुगतान में गोलमाल..

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रायपुर//  शिक्षा विभाग से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां RMSA (राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान) योजना के तहत सामग्री सप्लाई में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का मामला उजागर हुआ है। बताया जा रहा है कि बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के ही लगभग 1.20 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। इस खुलासे ने बीजापुर जिले के प्रशासनिक और शैक्षणिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।

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जांच में सामने आई गड़बड़ी
मामले का खुलासा तब हुआ जब बीजापुर कलेक्टर ने SDM को पूरे मामले की जांच सौंपी। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि पोटा-केबिन हॉस्टलों के लिए सामग्री सप्लाई में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। न तो किसी प्रकार की निविदा जारी की गई और न ही पारदर्शिता के मानक अपनाए गए। इसके बावजूद लाखों रुपए के बिल पास कर भुगतान कर दिया गया। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि यह कार्यवाही नियमों के खिलाफ है और इसमें गंभीर लापरवाही व मिलीभगत की आशंका है।

कलेक्टर की बड़ी कार्रवाई

जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद बीजापुर कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से कठोर कदम उठाए। उन्होंने 24 पोटा-केबिन हॉस्टल अधीक्षकों को पद से हटाने का आदेश जारी किया। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई अस्थायी नहीं है, बल्कि आगे विभागीय और कानूनी जांच भी की जाएगी।कलेक्टर का कहना है कि शिक्षा और बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाओं में किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

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अब होगी गहन जांच

फिलहाल प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि आखिर किन-किन हॉस्टलों से कितना भुगतान हुआ और किन अधिकारियों या कर्मचारियों ने इस घोटाले में भूमिका निभाई। संभावना जताई जा रही है कि जांच आगे बढ़ने पर कई और नाम सामने आ सकते हैं।जिला प्रशासन ने इस मामले में संबंधित विभाग से सभी भुगतान विवरण, बिल और सामग्री सप्लाई की सूची मांगी है। साथ ही वित्तीय लेनदेन से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

इस घोटाले ने जिले की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पोटा-केबिन हॉस्टल ऐसे संस्थान हैं जो नक्सल प्रभावित इलाकों में बच्चों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा और सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन जिस योजना का उद्देश्य बच्चों का भविष्य सुधारना था, उसी में करोड़ों की गड़बड़ी ने पूरे सिस्टम की पारदर्शिता को कटघरे में खड़ा कर दिया है।जिला प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि जांच पूरी होने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों और सप्लायरों पर FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही राशि की रिकवरी भी की जा सकती है।

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