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बलरामपुर// जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर देने वाला एक बड़ा मामला सामने आया है। फर्जी अंकसूची के आधार पर आंगनबाड़ी सहायिका पद पर नियुक्ति का खुलासा हुआ है। इस मामले में पुलिस ने चार महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
आरोप है कि संबंधित महिलाओं ने अपनी नियुक्ति के लिए झूठे दस्तावेज तैयार कराए और फर्जी अंकसूची का इस्तेमाल किया। जिन महिलाओं पर आरोप लगे हैं, उनके नाम हैं – अरमाना, रिजवाना, प्रियंका यादव और सुशीला सिंह। ये चारों वर्तमान में शंकरगढ़ विकासखंड के अलग-अलग आंगनबाड़ी केंद्रों में सहायिका के पद पर कार्यरत थीं।
कैसे हुआ खुलासा?
सूत्रों के मुताबिक, विभाग को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ सहायिकाओं ने अपनी नियुक्ति के दौरान प्रस्तुत किए गए शैक्षणिक दस्तावेजों में गड़बड़ी की है। जांच के दौरान जब अंकसूचियों का मिलान किया गया तो कई विसंगतियाँ सामने आईं। पाया गया कि पेश किए गए दस्तावेज असली नहीं हैं, बल्कि कूट रचित (फर्जी) हैं।
पुलिस की कार्रवाई
शिकायत और प्रारंभिक जांच के आधार पर पुलिस ने संबंधित चारों सहायिकाओं के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के तहत FIR दर्ज कर ली है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि जांच में और भी नाम सामने आ सकते हैं और जल्द ही बड़ा खुलासा हो सकता है।
विभाग की छवि पर असर
इस घटना ने महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस पद के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को अवसर मिलना चाहिए, वहां फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल करने का मामला सामने आना विभाग की साख को धूमिल करता है।स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने इस मामले पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यदि सरकारी नियुक्तियों में इस तरह की धांधली होगी तो योग्य और जरूरतमंद उम्मीदवारों का हक छिन जाएगा। वहीं, लोग इस बात की भी मांग कर रहे हैं कि पूरे जिले में नियुक्त सहायिकाओं की दस्तावेजी जांच की जाए।