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रायपुर// मध्यप्रदेश के सीहोर जिले स्थित कुबरेश्वर धाम में सावन माह के अवसर पर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की अगुवाई में आयोजित कावड़ यात्रा में उमड़ी भारी भीड़ के चलते भगदड़ और अव्यवस्था की स्थिति बन गई। इस दौरान 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है, जिनमें छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी एक श्रद्धालु भी शामिल हैं। हादसे में कई अन्य श्रद्धालु घायल हुए हैं, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
3 दिनों में 6 श्रद्धालुओं की मौत
- 5 अगस्त (मंगलवार) : रुद्राक्ष वितरण के दौरान मची भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हो गई।
- 6 अगस्त (बुधवार) : हरियाणा, गुजरात और छत्तीसगढ़ के तीन श्रद्धालुओं की मौत हुई, जिनमें से अधिकांश की मृत्यु हार्ट अटैक और चक्कर खाकर गिरने की वजह से हुई।
- 7 अगस्त (गुरुवार सुबह) : एक 22 वर्षीय युवक की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य श्रद्धालु घायल हैं।
मृतकों की पहचान
- जसवंती बेन (56 वर्ष) – राजकोट, गुजरात
- संगीता गुप्ता (48 वर्ष) – फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश
- चतुर सिंह (50 वर्ष) – गुजरात
- ईश्वर सिंह (65 वर्ष) – रोहतक, हरियाणा
- दिलीप सिंह (57 वर्ष) – रायपुर, छत्तीसगढ़
- उपेंद्र गुप्ता (22 वर्ष) – गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
घटना को गंभीरता से लेते हुए मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इस पर स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष राजीव कुमार टंडन ने सीहोर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था, मौतों के कारण, और घायलों के इलाज की स्थिति पर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
अव्यवस्था पर उठे सवाल
हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के बावजूद भीड़ नियंत्रण, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधा, और प्रशासनिक तैयारियों की भारी कमी देखने को मिली। इस हादसे ने एक बार फिर से धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस हादसे के बाद श्रद्धालुओं में भय और आक्रोश का माहौल है। स्थानीय प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, अब भीड़ नियंत्रण और प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्थाओं को बेहतर किया जा रहा है, लेकिन मृतकों के परिजनों के लिए यह उपाय बहुत देर से किए गए प्रतीत होते हैं।
बता दें कि सीहोर का कुबरेश्वर धाम सावन के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ऐसे में सुरक्षा प्रबंधन की विफलता ने कई जानें ले लीं। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस त्रासदी से क्या सबक लेता है, और आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कौन से कदम उठाए जाते हैं।