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कोरबा// कोरबा जिले में हाथियों का आतंक पिछले तीन दशकों से लगातार ग्रामीणों और किसानों की नींद हराम किए हुए है। समय के साथ हाथियों की संख्या में वृद्धि हुई है और इसके साथ ही उनका मानव बस्तियों में आना-जाना और नुकसान पहुंचाना भी बढ़ गया है।
वर्तमान हालात यह हैं कि हाथी और इंसान दोनों एक-दूसरे से भयभीत हैं। ग्रामीण अपने जान-माल की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, वहीं किसान खेतों में लहलहाती फसलों को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। दूसरी ओर, हाथियों को भी इंसानी फितरत और हमलों से डर है।
जानकारों के अनुसार, अपनी सुरक्षा के लिए इंसान कई बार हाथियों को नुकसान पहुंचा देता है, जिससे उनकी भी जान जाती है। यह स्थिति अब एक गंभीर “हाथी-मानव संघर्ष” का रूप ले चुकी है, जिसमें दोनों ही पक्ष अपनी जान बचाने के लिए संघर्षरत हैं।