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रायपुर// छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हुआ, लेकिन पहले ही दिन सदन का माहौल काफी गरम रहा। किसानों को खाद-बीज नहीं मिलने और सरकारी भर्तियों में गड़बड़ी जैसे मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने आ गए।
खाद-बीज संकट पर विपक्ष का हंगामा
सदन में शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्य में उर्वरक की भारी कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि किसान मजबूरी में बाजार से दोगुनी कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह सरकार किसानों को राहत देने में पूरी तरह नाकाम रही है।
जब कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने अपना पक्ष रखा, तो आसंदी ने स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके विरोध में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी की और गर्भगृह तक पहुंच गए, जिससे सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी। बाद में इन विधायकों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। हालांकि कुछ देर बाद यह निलंबन वापस ले लिया गया, लेकिन हंगामा जारी रहा, जिसके चलते सदन को मंगलवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
युक्तियुक्तकरण पर उठे कई सवाल
युक्तियुक्तकरण को लेकर सदन में 15 से ज्यादा सवाल पूछे गए। विधायकों ने स्कूलों की सेटअप प्रक्रिया, नियमों की अनदेखी और शिकायतों के बारे में जानकारी मांगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि इस पर जिलास्तरीय और संभागस्तरीय कमेटियां बनाई गई हैं जो शिकायतों का निराकरण कर रही हैं। रायपुर, बालोद और धमतरी में सबसे ज्यादा आपत्तियां दर्ज की गई हैं।
विश्वविद्यालय में भर्ती पर भी उठे सवाल
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने बस्तर के शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में हुई शैक्षणिक भर्तियों को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि नियमों की अनदेखी कर अधिक उम्र के लोगों की नियुक्ति की गई है, जबकि नियम के अनुसार 40 वर्ष से अधिक आयु के अभ्यर्थियों को नियुक्त नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि मामले की जांच की जा रही है और रिपोर्ट आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
राजस्व निरीक्षक भर्ती घोटाला बना बड़ा मुद्दा
सदन में राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा में अनियमितता का मुद्दा भी गरमाया रहा। भाजपा विधायक राजेश मूणत ने परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाया। मंत्री टंकराम वर्मा ने खुद अनियमितता स्वीकार की और बताया कि पाँच सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में गड़बड़ी पाई गई है। इसके अलावा EOW को 40 बिंदुओं पर जांच सौंपी गई है।
जब मूणत ने इसके लिए पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया, तो कांग्रेस ने विरोध किया और नारेबाजी करते हुए कहा कि यह परीक्षा तो जनवरी 2024 में आयोजित हुई थी, जब राज्य में भाजपा की सरकार थी। इस दौरान भूपेश बघेल ने CBI जांच की मांग कर दी और कांग्रेस विधायक सदन से वॉकआउट कर गए।
मानसून सत्र के पहले ही दिन से यह साफ हो गया है कि यह सत्र सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। खाद-बीज संकट से लेकर सरकारी भर्तियों तक, कई मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है। वहीं सरकार भी जांच और कार्रवाई का भरोसा दिला रही है। आगामी दिनों में सदन का माहौल और गर्म होने की संभावना है।