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रायपुर // राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत एसीबी (ACB) ने 3 जुलाई को बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर और दुर्ग में एक साथ दबिश दी। इस दौरान तीन सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। इनमें एक बाबू, एक पटवारी और एक कोटवार शामिल हैं। एसीबी की कार्रवाई से तहसील और राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है।
पहला मामला: तहसील कार्यालय बोरी, दुर्ग
दुर्ग जिले के बोरी तहसील में पदस्थ बाबू वीरेंद्र तुरकाने को 17,500 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। शिकायतकर्ता झनेन्द्र कुमार, निवासी टेकापार, ने एसीबी को शिकायत दी थी कि उसने गांव में जमीन खरीदी है और नामांतरण के बदले बाबू ने प्रति आवेदन ₹5,000 की मांग की थी। जांच के बाद सौदा ₹17,500 में तय हुआ। इसके बाद एसीबी ने जाल बिछाया और बाबू को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत कार्रवाई की जा रही है।
दूसरा मामला: पटवारी-कोटवार की जोड़ी, रायपुर
दूसरी कार्रवाई रायपुर जिले के अभनपुर क्षेत्र के ग्राम गोतियाडीह में की गई। यहां पटवारी पुष्पेंद्र गजपाल और कोटवार गौतम कुमार ने जमीन के नामांतरण के लिए जयवर्धन बघेल से ₹8,000 रिश्वत की मांग की थी। शिकायत की जांच के बाद ACB ने ट्रैप प्लान तैयार किया और दोनों को पैसे लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। इन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7 और 12 के तहत केस दर्ज किया गया है।
एसीबी अधिकारियों के मुताबिक, तीनों आरोपियों से पूछताछ जारी है और आगे की कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है। इस कार्रवाई ने विभागीय कर्मचारियों में हड़कंप मचा दिया है।
राज्य में लगातार हो रही एसीबी की कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी कर्मियों पर अब सख्त नजर रखी जा रही है।
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