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सारंगढ़-बिलाईगढ़// जिले के घौठला बड़े बाजार में मंगलवार शाम को उस वक्त हड़कंप मच गया जब भीड़भरे बाजार में पत्रकार जगन्नाथ बैरागी पर नशे में धुत बदमाशों ने जानलेवा हमला कर दिया। गले पर नुकीली चीज से वार किया गया, लेकिन स्थानीय लोगों की सूझबूझ से पत्रकार की जान बच गई।
बाजार में खुलेआम हमला, बच निकले अपराधी
घटना शाम करीब 6 बजे की है। पत्रकार जगन्नाथ बैरागी अपनी मां और भतीजी के साथ बाजार पहुंचे थे। उसी दौरान नशे में धुत बसित सिदार नामक युवक अपनी ही बाइक से गिर पड़ा। उठते ही उसने पत्रकार की खड़ी कार को लेकर गाली-गलौच शुरू कर दी। जब पत्रकार ने विरोध किया तो बसित ने गले पर जानलेवा हमला कर दिया।
इतना ही नहीं, उसके साथ मौजूद आनंद बरेठ नामक युवक ने भी मारपीट में साथ दिया। वहां मौजूद लोगों ने बीच-बचाव कर किसी तरह पत्रकार को बचाया।घटना के बाद भी बदमाशों के हौसले इतने बुलंद थे कि पत्रकार को घौठला गांव में आने पर जान से मारने और झूठे केस में फंसाने की धमकी भी दे डाली।
अपराधियों के मन से खत्म हो रहा कानून का डर
बाजार जैसे सार्वजनिक स्थान में दिनदहाड़े हमला यह दिखाता है कि अब अपराधियों में कानून और पुलिस का कोई खौफ नहीं बचा है। सवाल ये है कि जब पत्रकार तक सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?
पत्रकार संगठनों ने जताई नाराजगी, मांगी कड़ी कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के जिलाध्यक्ष नरेश चौहान, जिला प्रेस क्लब के सचिव संतोष चौहान और श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रतिनिधि थाने पहुंचे। उन्होंने तत्काल एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की मांग की।
नरेश चौहान ने कहा: “यह हमला केवल एक पत्रकार पर नहीं, पूरे पत्रकार समाज पर हमला है। अगर अब कार्रवाई नहीं हुई, तो जिलेभर के पत्रकार आंदोलन करेंगे।”
पुलिस ने दर्ज की FIR, आरोपियों की तलाश जारी
कोतवाली पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली है और मेडिकल परीक्षण भी कराया गया है। थाना प्रभारी ने बताया कि दोनों आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
सरपंच प्रतिनिधि और ग्रामीणों ने भी की निंदा
ओमप्रकाश (अंबू) पटेल, सरपंच प्रतिनिधि ने कहा: “हम पत्रकारों के साथ हैं, गांव स्तर पर भी इन अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
वहीं पूर्व सरपंच प्रतिनिधि देवनारायण पटेल ने बताया: “बसित सिदार आए दिन नशे में रहता है और आदतन बदमाश है। ऐसे लोगों की वजह से गांव की छवि खराब होती है।”
अब सवाल पुलिस-प्रशासन से: कब होगी ठोस कार्रवाई?
इस वारदात ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या अब पत्रकार भी सुरक्षित नहीं हैं? क्या इस तरह की घटनाओं पर प्रशासन केवल एफआईआर तक ही सीमित रहेगा या फिर दोषियों पर प्राणघातक हमले और धमकी जैसी गंभीर धाराओं में कार्रवाई कर एक सख्त संदेश देगा?
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