युक्तियुक्तकरण के संबंध में DPI ने जारी किया निर्देश, इन 9 बिंदुओं का सभी संयुक्त संचालकों व DEO को करना होगा पालन..

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रायपुर// छत्तीसगढ़ में शिक्षक युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर लगातार उठते सवालों के बीच शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (D.E.O.) को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करते हुए सघन परीक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। सोशल मीडिया में अतिशेष शिक्षकों की गणना को लेकर विभिन्न आरोप और सवाल खड़े किए जा रहे हैं, जिसके चलते विभाग ने पूर्ण पारदर्शिता और दायित्व का निर्वहन सुनिश्चित करने की बात कही है।

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निर्देशों के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं

  1. निलंबन से बहाल शिक्षकों का विवरण: बीते 15 दिनों में जिन शिक्षकों को निलंबन से बहाल किया गया है, उनकी जानकारी तीन दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए। साथ ही बहाली का कारण भी स्पष्ट रूप से बताया जाए।
  2. संभावित अतिशेष वाले विद्यालयों की पहचान: ऐसे विद्यालय, जहां वर्तमान में शिक्षक अतिशेष नहीं हैं, लेकिन दर्ज संख्या के अनुसार यदि गणना की जाए तो वे अतिशेष श्रेणी में आते हैं (जैसे – प्राथमिक विद्यालय में 61 से 65 और पूर्व माध्यमिक में 105 से 110 दर्ज संख्या)। ऐसे सभी स्कूलों का गहन परीक्षण किया जाए।
  3. दर्ज संख्या व शिक्षकों की जानकारी: विकासखण्ड स्तरीय समिति से 31 मार्च की स्थिति में प्रत्येक विद्यालय की दर्ज संख्या एवं कार्यरत शिक्षकों की नामवार जानकारी प्राप्त की जाए।
  4. संलग्न शिक्षकों की स्थिति स्पष्ट हो: अध्यापन व्यवस्था के तहत संलग्न शिक्षकों को मूल शाला में दर्शाया गया है या नहीं, यह सुनिश्चित करें। उनकी गणना पदस्थ शाला के आधार पर की जानी है।
  5. कार्यालय में संलग्न शिक्षकों की गणना न हो: किसी भी कार्यालय में कार्यरत शिक्षकों को मूल शाला में गणना करते हुए जोड़ा जाए।
  6. आश्रम शालाओं के अधीक्षकों की गणना: आश्रम शालाओं के अधीक्षकों की गणना उनकी मूल शाला में ही की जाए।
  7. रिक्त पदों का मिलान करें: विकासखण्ड स्तरीय समिति से प्राप्त रिक्त पदों की सूची का मिलान कर सटीक लेखा प्रस्तुत करें।
  8. संवेदनशील विद्यालयों की जांच: शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय और जहां शिक्षक आवश्यकता से कम हैं, ऐसे विद्यालयों की विशेष समीक्षा की जाए।
  9. पारदर्शिता और जवाबदेही अनिवार्य: पूरी प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए। यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया जाता है, तो कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह संभागीय संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही या त्रुटि न हो।यह कदम सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक वितरण प्रणाली न्यायसंगत, सुव्यवस्थित और छात्रों के हित में हो, साथ ही शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता बनी रहे।

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