शेयर करें...
रायपुर// छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के एक आदेश ने डॉक्टरों का सिरदर्द बढ़ा दिया है, जिससे शासकीय अस्पतालों में सेवा देने से मोहभंग हो रहा है। रायपुर के डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के बाद, बिलासपुर, रायगढ़, दुर्ग और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के 50 से अधिक डॉक्टर इस्तीफा देने की तैयारी में हैं। इस प्रक्रिया की शुरुआत दुर्ग मेडिकल कॉलेज से सोमवार से हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार, दो डॉक्टर पहले ही अपने इस्तीफे दे चुके हैं। पिछले दिनों, छह से अधिक डॉक्टरों ने डीन डॉ. तृप्ति नागरिया को एक महीने का नोटिस देकर नौकरी छोड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। इसके अलावा, 20 से अधिक डॉक्टर सामूहिक रूप से इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं।
रायपुर के डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. सुरेश सिंह और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश अग्रवाल ने भी एक महीने का नोटिस दिया है। वहीं, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अर्पित अग्रवाल निजी अस्पतालों में काम करने के लिए इस्तीफा दे चुके हैं। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के करीब 22 डॉक्टरों ने अपने त्यागपत्र से पहले आदेश पर पुनर्विचार की मांग डीन के समक्ष रखी है।
नया आदेश: निजी अस्पतालों को प्राथमिकता
स्वास्थ्य विभाग के नए आदेश में कहा गया है कि जिन अस्पतालों में ‘शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान योजना’ के तहत मरीजों का इलाज किया जा रहा है, उन्हें एक शपथ पत्र देना होगा कि उनके यहां किसी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर सेवाएं नहीं दे रहे हैं। इस आदेश के बाद सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को निजी अस्पतालों में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हालांकि, अभी तक किसी डॉक्टर ने औपचारिक रूप से इस्तीफा नहीं दिया है, लेकिन निजी प्रैक्टिस को लेकर कई डॉक्टर इस्तीफा देने की तैयारी में हैं। शासन स्तर पर इस मामले में डॉक्टरों से बातचीत चल रही है।
“यूरो सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने नोटिस दिया हैं। डॉक्टरों से नोटिस वापस लेने के लिए बातचीत की जा रही है।” डा. हेमंत शर्मा, उप अधीक्षक, डीकेएस सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल, रायपुर
Owner/Publisher/Editor