पूर्व CM भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल का निधन, पिछले 3 महीने से थे बीमार, 89 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस..

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रायपुर/ छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार का बघेल का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। सोमवार सुबह 6 बजे उन्होंने रायपुर के बालाजी अस्पताल में अंतिम सांस ली है। वे पिछले 3 महीने से बीमार चल रहे थे। सीएम विष्णुदेव साय ने उनके निधन पर दुख जताया है।

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भूपेश बघेल दिल्ली दौर पर थे। निधन की सूचना मिलते ही वे रायपुर लौट रहे हैं। नंदकुमार बघेल को ब्रेन और स्पाईन से सम्बंधित पुरानी बीमारी थी। 21 अक्टूबर 2023 बालाजी हॉस्पिटल मोवा रायपुर में भर्ती हुए तो उन्हें दिमाग में खून का थक्का जमा था और उन्हें निमोनिया था और पूरे शरीर में इन्फेक्शन फैला था जिसे सेप्टिसिमिया कहते हैं। जिसकी वजह से नंदकुमार बिस्तर में पड़ गए और इन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी।

भूपेश बघेल दिल्ली से सुबह 11.55 बजे की फ्लाइट से रवाना होकर 1.40 बजे रायपुर पहुंचेंगे। पिछले साल नवंबर माह में तबीयत खराब होने पर नंदकुमार बघेल को अस्‍पताल में भर्ती किया गया था। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते पूर्व सीएम भूपेश बघेल 21 अक्टूबर को पिता नंदकुमार बघेल से मिले थे।

इन विवादों से चर्चा में रहे नंदकुमार बघेल

भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार के आपत्तिजनक बयानों से प्रदेश में लगातार विवादों में घिरते रहे, हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है कि जब उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। वैसे तो वे पहले से ही ब्राह्मण विरोधी बयान देते रहे हैं, लेकिन पहला चर्चित विवाद 2001 में उनकी पुस्तक ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ था।

इसमें वो महिषासुर, रावण को महान योद्धा भी बता चुके हैं। साथ ही उनके कुछ विवादों में पुस्तक प्रतिबंधित है ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ पुस्तक नंदकुमार बघेल की पुस्तक में मनुस्मृति और वाल्मिकी रामायण, तुलसीदास के रामचरित मानस पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं।

इस पुस्तक में बघेल ने राम को काल्पनिक चरित्र बताया था। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि सर्वणों ने राम नाम का अस्तित्व दलितों, मूलनिवासियों और आदिवासियों पर राज करने के लिए उन्हें दबाने, कुचलने के लिए गढ़ा है, जिससे दक्षिण के विचारक पेरियार के विचार भी शामिल हैं।

इस पुस्तक को 2001 में अजीत जोगी सरकार ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और वर्गों के बीच द्वेष से बढ़ाने वाला मानते हुए प्रतिबंधित कर दिया था। इस दौरान नंद कुमार बघेल इसके खिलाफ हाई कोर्ट चले गए थे। जहां हाईकोर्ट की फुल बेंच ने 17 साल बाद उनकी याचिका को खारिज कर दी और पुस्तक पर बैन बरकरार रखा।

बघेल ने रावण और महिषासुर को बताया महान योद्धा

प्रदेश में बीते कुछ सालों से नंदकुमार बघेल ने गांवों में दुर्गा पूजा और रावण वध के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था। वे गांव-गांव का दौरा कर वहां के आदिवासी समुदाय से अपील करते रहे कि वे दशहरे को रावण पुतले का दहन ना करें। पिछले साल 2019 में उन्होंने दशहरा के कार्यक्रम में रावण को महान योद्धा, पुरखा बताकर विजयादशमी को शोक दिवस का नाम दिया था। वे तब से ही सभी जगहों पर जाकर महिषासुर, रावण, मेघनाद के पुतले जलाए जाने और दुर्गा पूजा का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि महान योद्धाओं का वध ब्राह्मण समाज बहुजन मूल संस्कृति को अपमानित करने के लिए कर रहा है।

ब्राह्मणवाद के कट्टर विरोधी

नंदकुमार बघेल चाणक्य, राहुल सांकृत्यायन और पंडित जवाहरलाल नेहरु को अपना आदर्श बताते रहे। कभी सर्वोदय आंदोलन से जुड़े रहे नंदकुमार बघेल ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में भी भाग लिया। बाद के दिनों में वो कई सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे।

ब्राह्मणों पर दिया था विवादित बयान, भेजे गए जेल

8 सितंबर 2021 को आगरा गिरफ्तार कर रायपुर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उनपर ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान देने का आरोप था। इसके बाद भूपेश बघेल ने कहा था कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।

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