कोरोना काल में भी कोरबा की ऊँची छलांग, गौठानो में बने जैविक खाद को मिला क्वालिटी सर्टीफिकेशन

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कोरबा/ कोरोना काल में भी कोरबा कलेक्टर किरण कौशल को एक और अभिनव प्रयास सफल हो गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वकाँक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के तहत बने जिले के गौठानो में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट को छतीसगढ़ की खाद गुणवत्ता प्रामाणिकरण संस्था ने मानक गुणवत्ता का पाया है और कोरबा जिले को उत्पादित कम्पोस्ट को मानक गुणवत्ता प्रमाणपत्र दिया है. गौठानो में बने खाद को गुणवत्ता को जाँच कर उसका मानक प्रमाणन प्राप्त करने वाला कोरबा प्रदेश का पहला और एकमात्र जिला है. गुरुवार को कलेक्टर किरण कौशल को हरे कृष्णा स्व सहायता समूह माहोरा की अध्यक्ष ने जैविक खाद प्रमाणन पत्र सौंपा. कलेक्टर ने समूह को इस उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनाये दी तथा खाद को आकर्षक पकेजिंग कर उसका बड़े पैमाने पर व्यापार करने को कहा.

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गौठान में जैविक खाद उत्पादन में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राज्य शासन अंतर्गत सीजी सर्ट सोसायटी द्वारा हरे कृष्णा स्व सहायता समूह को सीजी सर्ट अप्रूवल प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है. यह सर्टिफिकेट जैविक खाद उत्पादन के दौरान एनपीओपी के कड़े मानकों को पूरा करने के उपरांत दिया जाता है. हरे कृष्णा स्व सहायता समूह को सीजी सर्ट प्रमाणीकरण मिलने पर कलेक्टर किरण कौशल और जिला पंचायत सीईओ एस जयवर्धन ने समिति की सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है. कलेक्टर कौशल ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा गौठानों में जैविक खाद बनाने के लिए स्व सहायता समूहों को प्रदान किये जा रहे विशेष सहयोग समूह को प्रमाणीकरण मिलने में सहायक साबित हुए. कलेक्टर ने समूह द्वारा उत्पादित जैविक खाद को समुचित ब्रांडिग के साथ सभी बाजारों में बेचने की सलाह समूह के सदस्यों को दी है. समूह के सदस्यों ने बताया कि जिले में वृहद रूप से होने वाले वृक्षारोपण के लिए वन विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग सहित कई एजेंसियों से खाद की मांग आ रही है.


जिला पंचायत सीईओ एस. जयवर्धन ने बताया कि राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत खेतों में रासायनिक खाद के बदले जैविक खादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए गौठानों को विकसित किया गया है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत ग्राम पंचायत भांवर के महोरा गौठान में हरे कृष्णा स्व सहायता समूह के सदस्यों द्वारा 42 क्विंटल खाद उत्पादन किया जा चुका है तथा 28 क्विंटल खाद की बिक्री भी दस रूपये प्रति किलोग्राम के दाम पर हो चुकी है. खाद के संबंध में उद्यानिकी विभाग ने संतुष्टी जताई है तथा खाद गुणवत्ता उच्चतम होने के कारण उत्पादन अधिक और लागत कम आ रही है. समूह द्वारा बनाये गये खाद को हसदेव अमृत नाम के ब्राण्ड से बाजार में बेचा जा रहा है. प्रचूर मात्रा में जैविक खाद उत्पादन से समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधर गई है. समूह द्वारा बनाये जा रहे खाद को सीजी सर्ट की निरीक्षण समिति के द्वारा क्षेत्र निरीक्षण के पश्चात जैविक खाद का लैब टेस्ट करवाया गया है. लैब टेस्ट में पास होने तथा पंजी संधारण, संग्रहण व्यवस्था आदि की समुचित प्रबंध से संतुष्ट होने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया गया है. हरे कृष्णा स्व सहायता समूह की कांति देवी कॅवर कहती है कि यह तो सोने पर सुहागा है कि हम जो उत्पादन करते है उसे बनाने का खर्च तो है ही नही और दस रूपये प्रति किलोग्राम की दर से कमाई हो जाती है. खपत के लिये गाँव मे ही जरूरत होती है, साथ ही शासकीय विभागो द्वारा मांग जारी की जाती है. इस तरह बनी हुई खाद से कचरा प्रबंधन भी होता है और कम समय मे अच्छी कमाई भी हो जाती है.

वर्तमान में कटघोरा विकासखंड की राधे कृष्ण स्वसहायता समूह ढेलवाडीह, अंबे सहायता समूह ढपढप, बुढ़ादेव स्वसहायता समूह रंजना, शिवशक्ति स्व सहायता समूह अरदा, पूजा स्वसहायता समूह अमरपुर, कोरबा विकासखंड के चंद्रहासिनी स्वसहायता समूह चिर्रा, सहेली स्वसहायता समूह बेला, करतला विकासखंड के जय माँ दुर्गा स्वसहायता समूह कटबितला, जय माता दी स्वसहायता समूह उमरेली, पाली विकासखंड के गोठान महिला समूह मदनपुर, शिव शक्ति स्वसहायता समूह केराझरिया, महामाया स्वसहायता समूह नंदीपाली एवं जय लक्ष्मी स्वसहायत समूह उड़तां द्वारा गौठानों में बिहान अंतर्गत लगभग नौ टन वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन कर विक्रय किया जा चुका है. साथ ही लगभग 35 टन उत्पादन प्रक्रियाधीन है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा इन समूहों को प्रशिक्षण उपरांत उत्पादन हेतु कच्चा सामान जैसे गोबर, पत्ते, मिट्टी, पानी, वर्मी बेड, केंचुआ एवं विक्रय के लिए बाजार की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराई गई है ताकि महिला समूह अपने ग्राम की जैविक खाद की आवश्यकता पूर्ति कर इसे अन्य बाजार में उपलब्ध करा सके.

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